
जोशीमठ. उत्तराखंड के जोशीमठ में दरारों के आने के बाद अब आपदा से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। प्रशासन की ओर से आपदा प्रभावित इलाकों में बुलडोजर एक्शन की तैयारी की गई है। जर्जर मकान और निर्माण को तोड़ने की तैयारी की गई है। पिछले दिनों तकनीकी समिति ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट दी थी। इसमें सरकार को तत्काल जर्जर निर्माणों को ढहाने की अनुशंसा की गई थी। इन जर्जर संरचनाओं के कारण जान-माल के खतरे की आशंका जताई जा रही थी। जोशीमठ में दरारें लगातार लोगों को डरा रही हैं। प्रशासन की ओर से अब तक 678 घरों को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा दो जर्जर होटलों को भी चिन्हित किया गया है, जिन्हें तोड़ने की कार्रवाई शुरु हो गई है।
असुरक्षित भवनों को गिराने की कार्रवाई शुरू
जोशीमठ में 81 परिवारों को अस्थायी रुप से विस्थापित किया गया है। असुरक्षित भवनों को आज गिराया जाएगा, होटल मलारी इन और माउंट व्यू को गिराया जाएगा, असुरक्षित होटल में SDRF की टीम तैनात है। असुरक्षित जोन को पुलिस-SDRF ने खाली करा लिया है। आज से असुरक्षित भवनों को गिराया जाएगा। मौके पर PWD, CPWD और सीबीआरआई की टीम मौजूद है। सुरक्षा के मद्देनजर सभी इंतजाम पूरे किए गए हैं। वहीं जोशीमठ में असुरक्षित भवनों के गिराए जाने का विरोध भी हो रहा है। महिलाएं सड़क पर उतरकर जुलूस प्रदर्शन निकाल रही है। महिलाए जोशीमठ को तोड़ना बंद करो के नारे लगा रही हैं। महिलाएं हाथों में बैनर लेकर जुलूस प्रदर्शन कर रहीं हैं।
जोशीमठ आपदा के 5 बड़े कारण
जोशीमठ शहर की आपदा के लिए पांच बड़े कारण सामने आये हैं। मिश्रा कमेठी की रिपोर्ट में कहा गया था कि भूस्खलन क्षेत्र में जोशीमठ शहर बसा है। वाडिया इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अलकनंदा नदी के किनारे भू कटाव हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति ने जोशीमठ मे अधिक और अनियंत्रित निर्माण की ओर ध्यान खींचा था। भू वैज्ञानिकों ने टनल को खतरनाक बताते हुए एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना को भी जिम्मेदार ठहराया है। पिछले साल आपदा प्रबंधन ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में बताया था कि जोशीमठ में ड्रेनेज ओर सीवरेज की व्यवस्था नहीं है।









