
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को उनके खिलाफ यूएपीए मामले में जमानत दे दी हैं। CJI UU ललित की अगुवाई वाली बेंच ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा- “अपीलकर्ता ट्रायल कोर्ट की स्पष्ट अनुमति के बिना दिल्ली के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेगा। अपीलकर्ता प्रत्येक सोमवार को स्थानीय थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा। यह शर्त पहले 6 सप्ताह के लिए लागू होगी। छह सप्ताह के बाद, अपीलकर्ता केरल जाने के लिए स्वतंत्र होगा, लेकिन स्थानीय पुलिस स्टेशन को उसी तरह से रिपोर्ट करेगा, जो हर सोमवार को होता है, और उस ओर से रखे गए रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज करता रहेगा।”
सिद्दीकी कप्पन को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने के बाद उनकी पत्नी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सच मेरे साथ था, मैं इस स्ट्रगल के भागी नहीं मैंने इसका पीछा किया। मुझे पता था की कप्पन बेगुनाह थे। मैं खुश हूँ कि उसे जमानत मिल गई हैं। हम 2 साल से इसके लिए परेशान थे।
फिर उन्होंने कहा कि यह छोटा मामला नहीं हैं, उत्तर प्रदेश की सरकार और पुलिस ने उन्हें 2 साल तक जेल में बंद रखा हैं। ये हम जल्दी भूल नहीं सकते हैं। इस दौरान हमारी जिंदगी भी खतरे में रही हैं और कप्पन ने भी कई तरह की कठनाईयों का सामना किया हैं। मैं खुश हूँ की सुप्रीम कोर्ट ने हमें UAPA केस में जमानत दी हैं।
आगे उन्होंने कहा कि अभी तक हमे आर्डर मिला मिला नहीं है हम उसका इन्तजार कर रहे हैं। कप्पन को अब तीन दिनों के भीतर निचली अदालत में ले जाया जाना है और निचली अदालत द्वारा उपयुक्त समझी जाने वाली शर्तों पर जमानत पर रिहा किया जाना है। हमने मनी लॉन्डरिंग केस के लिए भी जमानत याचिका डाल दी हैं। उन्होंने बताया कि UAPA मामले में जब हाईकोर्ट ने उन्हें बेल नहीं दी थी। जिसके बाद 2 अगस्त को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी।
इसके अलावा, जब कप्पन के वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि उनके खिलाफ PMLA के तहत कार्यवाही भी शुरू की गई है और इस संबंध में उन्हें जमानत के लिए आवेदन करने के लिए कार्यवाही में भाग लेना पड़ सकता है, तो शीर्ष अदालत ने कहा, “ऊपर बताई गई शर्तें खड़ी होंगी जमानत की राहत का लाभ उठाने के लिए अपीलकर्ता को जिस हद तक आवश्यक है, उसमें छूट दी गई है।”
बता दें कि कप्पन को अक्टूबर 2020 में हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया गया था, जहां कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार के बाद एक युवा दलित महिला की मौत हो गई थी। जिसके बाद इन पर आरोप लगाया गया था कि इन्होने दंगा भड़काने का प्रयास किया था।









