कर्नाटक हिजाब मामले ने पकड़ा तूल, पाकिस्तान के बाद अब अमेंरिका की एंट्री, जानें स्वतंत्रता का कौन-सा पढ़ाया पाठ…

कर्नाटक में हिजाब पर प्रतिबंध का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। भारत के बाद अब दुनिया भर से लोगो की प्रतिक्रियाएं आने लगी है। अब इस विवाद पर अमेरिका ने भी अपना बयान जारी कर दिया है. भारत में मुस्लिम छात्रों की हिजाब पहनने की मांग को लेकर उठे विवाद के बीच अमेरिका ने कर्नाटक की आलोचना की है। कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब को लेकर उपजे तनाव पर अमेरिका ने कहा कि स्कूलों-कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाना धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है. धार्मिक कपड़ों की इजाजत देना है या नहीं, यह कर्नाटक को तय नहीं करना चाहिए।

इस मामले पर अमेरिका की तरफ से कहा गया कि , ‘धार्मिक स्वतंत्रता में लोगों को अपने धार्मिक कपड़ों को चुनने की पूरी आजादी होती है। भारतीय राज्य कर्नाटक को धार्मिक कपड़ों की अनुमति का निर्धारण नहीं करना चाहिए। स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है और महिलाओं और लड़कियों को कलंकित और हाशिए पर लाता है।’

दुनिया की सबसे छोटी नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने कहा कि लड़कियों को हिजाब पहनकर स्कूलों में प्रवेश करने से रोकना गलत है। मलाला कहा, ‘हिजाब पहनने वाली लड़कियों को स्कूलों में प्रवेश करने से रोकना भयावह है. महिलाओं पर कम या ज्यादा कपड़े पहनने पर आपत्ति जताई जाती है। भारतीय नेताओं को मुस्लिम महिलाओं को हाशिए पर रखना बंद करना चाहिए।’

कर्नाटक हिजाब विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल हुई। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में कॉमन ड्रेस कोड लागू करने की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि कॉमन ड्रेस कोड लागू होने से शिक्षा के वातावरण में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। भाजपा नेता और वकील अश्वनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया है।

याचिका में कहा गया है कि कॉमन ड्रेस कोड लागू होने से एक समान ड्रेस कोड ना केवल समानता, सामाजिक न्याय व लोकतंत्र के मूल्यों को बढ़ाने के लिए जरूरी है बल्कि न्यायपूर्ण और मानवीय समाज बनाने के लिए भी आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि कॉमन ड्रेस कोड से जातिवाद, सांप्रदायिकता, कट्टरवाद, अलगाववाद के खतरे को कम किया जा सकता है साथ ही यह ना केवल हिंसा को कम करता है बल्कि सकारात्मक शैक्षिक वातावरण को भी बढ़ावा देता है यह सामाजिक आर्थिक मतभेदों के कारण होने वाली हिंसा के अन्य पहलुओं को भी कम करता है।

बता दें, कर्नाटक हिजाब विवाद मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थानीय मामले को राष्ट्रीय मुद्दा न बनाएं, हम सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए बैठे है। सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए मामले की जल्द सुनवाई की मांग की गई।

याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश संविधान के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कर्नाटक हाई कोर्ट की सुनवाई पर कोर्ट की नजर है इस मुद्दे को राजनीतिक और धार्मिक नहीं बनाया जाना चाहिए । मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने कहा हम सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए बैठे है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा अगर कुछ गलत होता है तो उसकी रक्षा हम करेंगे, सुनवाई के लिए सही वक्त का इंतजार कीजिए।

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