मध्यप्रदेश का बक्सवाहा जंगल हीरे की खान माना जाता है। यहां सालों से हीरा खनन का कार्य चल रहा था, लेकिन मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश ने इस कार्य पर रोक लगा दी है। दरअसल, बक्सवाहा जंगल में हीरा खनन से राज्य के पुरातत्व विभाग ने आपत्ति जताई थी और पुरे खनन प्रक्रिया की जांच कर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश की है। जिसमें बताया गया था कि बक्सवाहा जंगल में हीरे की खनन पाषाण युग के मध्यकाल में चट्टानों पर की गयी पेंटिंग्स को नुक्सान पहुंचा रहा है। इससे भारत की पुरातात्विक संपत्ति की क्षति हो रही है। इस रिपोर्ट के अवलोकन से कोर्ट ने जंगल में हीरा खनन की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगा दी।
दरअसल, बक्सवाहा के जंगलों में हीरा खनन मामले में दो याचिकाएं दायर की गई थी। दोनों याचिकाएं नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ पीजी नाजपांडे ने दायर की थीं। सबसे पहले ये याचिकाएं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर की गई थी, लेकिन चूंकि यह मामला पुरातात्विक संपदा से सम्बंधित था अतः इसपर एनजीटी सुनवाई नहीं कर सकता था। इस कारण मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमथ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की संयुक्त पीठ ने बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई की।
आपको बता दें कि, बक्सवाहा का जंगल 25 हजार सालों से भी पुरानी रॉक पेंटिंग्स से भरा हुआ है। अतः इस याचिका में पुरे क्षेत्र को पुरातत्व विभाग के द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग की गयी थी। याचिका में बताया गया था कि पुरे जंगल की 364 हैक्टेयर जमीन में हीरा खनन कभी भी शुरू हो सकता है, लेकिन यहां पाई गयी 25 हजार साल पुरानी पाषाणयुगीन रॉक पेंटिंग्स उस समय के मानव जीवन के बारे में कई जानकारियां समेटे हुए हैं जिनको संरक्षित करना बहुत जरुरी है।