कृषि आजीविका सखियों को विभिन्न कृषि आधारित गतिविधियों से जोड़कर बनाया जायेगा लखपति दीदी

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक श्रीमती दीपा रंजन ने बताया कि संबंधित विभागों द्वारा आजीविका मिशन के तहत कृषि सखियों को कृषि विस्तार के कार्यों एवं विभाग की योजनाओं में प्राथमिकता के आधार पर लाभार्थी बनाया जायेगा।

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के नेतृत्व व निर्देशन में लखपति महिला योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश मे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत लखपति दीदी के लक्ष्यों को पूर्ण करने एवं कृषि प्रथाओं को प्राकृतिक एवं जैविक खेती की ओर उन्मुख करने के उद्देश्य से कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। जिसमें दीनदयाल अन्त्योदय योजना (डे-एन आर एल एम)- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, उत्‍तर प्रदेश में वर्तमान में 269 प्रशिक्षण कार्यक्रम द्वारा 7634 कृषि सखियों के प्रशिक्षण एवं सत्यापन का कार्य पूर्ण किया है।

संबंधित विभागों को दिए गए निर्देश

यह सखियां विभिन्न चयनित विभागों से समन्वय कर प्राकृतिक/जैविक खेती/कृषि पारिस्थितिक खेती को बढ़ावा देंगी। शासन द्वारा सम्बन्धित विभागों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह आवश्यकतानुसार इन कृषि सखियों के माध्यम से अपनी विभागीय विभिन्न गतिविधियों को मुकम्मल अन्जाम देने में सहयोग प्राप्त कर सकते हैं। जारी आदेशों में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में डे-एन आर एल एम की कृषि सखियों को कृषि, उद्यान, रेशम, एवं भूगर्भ जल विभाग अपने कार्यक्रम विस्तार हेतु पैरा प्रोफेशनल के रूप में समेकित करते हुए प्राथमिकता के आधार पर विभाग के अन्तर्गत कार्यक्रम विस्तार, प्रचार -प्रसार, लाभार्थी जोड़ने के कार्य एवं विभाग के कार्यक्रमो के लक्षित ग्रामीणों के प्रशिक्षण के कार्य उन्हें आवंटित किए जा सकते हैं। सम्बन्धित विभाग उनके द्वारा निर्धारित मानदेय नियमानुसार कृषि सखियों को प्रदान करेंगे। कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा कृषि विभाग, उद्यान विभाग, रेशम विभाग भूगर्भ जल विभाग सहित ग्राम्य विकास आयुक्त, मण्डलायुक्तों, मिशन निदेशक राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन,जिलाधिकारियों व मुख्य विकास अधिकारियों को इस सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

इस तरह होता है चयन

उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (यू0पी0एस0आर0एल0एम0) द्वारा दीनदयाल अन्त्योदय योजना (डे– एन0आर0एल0एम0) के अंतर्गत गठित स्वयं सहायता समूह सदस्यों में से चयनित ऐसे सदस्य जिनकी आयु 21 वर्ष से 45 वर्ष तक हो एवं जो कृषि से संबंधित कार्यों का अनुभव एवं रुचि रखती हो एवं उत्पादन के क्षेत्र में सबसे अच्छी किसान हों, उनमें उनके कार्यों के प्रचार प्रसार हेतु न्यूनतम आवश्यक शैक्षणिक योग्यता हो एवं उनके और निकटवर्ती ग्राम में स्थानीय भ्रमण करने हेतु कोई बाधा नहीं हो, का चयन कृषि आजीविका सखी के रूप में किया जाता है। कृषि सखियों द्वारा संगठन निर्माण,कृषि आधारित आजीविका से जुड़े कार्य, अनुश्रवण, के कार्य प्रशिक्षण के उपरान्त सम्पादित किये जाते हैं।

लाभार्थी के रूप में होंगे चयन

डे–एन0आर0एल0एम0 की कृषि सखियों को कृषि, उद्यान, सूक्ष्म सिंचाई, रेशम विभाग/ निदेशालय को अपने कार्यक्रम विस्तार हेतु पैरा प्रोफेशनल के रूप में समेकित करते हुए प्राथमिकता के आधार पर विभागान्तर्गत कार्यक्रम विस्तार, प्रचार प्रसार, लाभार्थी जोड़ने के कार्य, एवं विभाग के कार्यक्रमों के लक्षित ग्रामीणों के प्रशिक्षण के कार्य आवंटित किये जायेंगे। संबंधित विभाग कार्य आवंटन के आधार पर उनके द्वारा निर्धारित मानदेय प्रदान करेंगे एवं कृषि सखियों को प्राथमिकता के आधार पर अपने कार्यक्रमों के अंतर्गत लाभार्थी के रूप में चयन करेंगे।

प्राथमिकता के रूप में बनाया जाएगा लाभार्थी

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक श्रीमती दीपा रंजन ने बताया कि संबंधित विभागों द्वारा आजीविका मिशन के तहत कृषि सखियों को कृषि विस्तार के कार्यों एवं विभाग की योजनाओं में प्राथमिकता के आधार पर लाभार्थी बनाया जायेगा। उ0प्र0 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक कृषि आजीविका सखी को पदस्थ करने की दिशा में कार्य कर रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती / जैविक खेती को बढ़ावा मिले एवं स्वयं सहायता समूह के सदस्य परिवारों की सतत् रूप से आय में वृद्धि हो सके।

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