लाखों भक्त बागेश्वर धाम में रोजाना लेकर आते हैं अपनी समस्या, क्यों सुर्खियों में आ गए महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ? पढ़े पूरी खबर…

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की रामकथा के समापन होने के बाद महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संयोजक श्याम मानव ने उन पर अंधविश्वास फैलाने के आरोप लगाए।

बागेश्वर धाम और उसके महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों सुर्खियों में हैं। महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का सुर्ख़ियों में अचानक से आ जाने का कारण उन पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप है। दरअसल, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बीते 5 जनवरी से 11 जनवरी के बीच नागपुर में मौजूद थे और रामकथा प्रवचन कर रहे थे। उनकी यह कथा 13 जनवरी तक निर्धारित थी लेकिन उससे 2 दिन पहले ही यह कथा समाप्त कर दी गई और इसके पीछे कुछ अज्ञात कारण बताए गए।

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की रामकथा के समापन होने के बाद महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संयोजक श्याम मानव ने उन पर अंधविश्वास फैलाने के आरोप लगाए। श्याम मानव ने पहले तो पेशकश की कि अगर बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने दरबार के दौरान कोई चमत्कार दिखाते हैं तो उन्हें 3000000 रुपयों की राशि का पुरस्कार स्वरूप दी जाएगी। हालांकि बाद में महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संयोजक श्याम मानव ने उनके खिलाफ अंधविश्वास फैलाने के आरोप में एफ आई आर दर्ज करा दी।

श्याम मानव के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि जब वह नागपुर में 7 दिनों के लिए गए हुए थे इस बीच कथित अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने उन्हें चुनौती क्यों नहीं दी? इनके पास कोई पत्र या अपना कोई प्रतिनिधि क्यों नहीं भेजा।

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने बयानों को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा में हैं। हर कोई जानना चाहता है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अचानक से इतने प्रसिद्ध कैसे हो गए और उनका शुरुआती जीवन कैसा था। वह कथावाचक कब बने? उसने पहली बार कहानी कब और कहाँ सुनाई? उन्हें कहानीकार बनने की प्रेरणा किससे मिली?

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भारत के मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल बागेश्वर धाम सरकार के प्रमुख और महाराजा हैं। पंडित कृष्ण शास्त्री बागेश्वर वाले महाराज के नाम से प्रसिद्ध हैं। वह भागवत महापुराण के अच्छे वक्ता के साथ एक बहुत अच्छे विद्वान हैं, जो बिना बताए लोगों के मन की बात जान लेते हैं और उसका समाधान भी बता देते हैं। वह सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते है और भगवान बालाजी की कृपा से वह लोगों के मन की बात जानते हैं।

उनका जन्म 4 जुलाई 1996 को छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में हुआ था। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बचपन उनके ही गांव में बीता है। कृष्णा शास्त्री एक सामान्य गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता का नाम राम करपाल गर्ग है। उनकी माता का नाम सरोज गर्ग है। और दादा जो एक अच्छे विद्वान थे और निर्मोही अखाड़े से जुड़े थे जिनका नाम भगवान दास गर्ग है। पंडित कृष्ण शास्त्री अपने दादा को अपना गुरु मानते थे, जिन्होंने उन्हें “रामायण” और भागवत गीता का अध्ययन सिखाया। वे नौ वर्ष की आयु से ही बालाजी की सेवा में लग गए थे, गुरुओं द्वारा बताए गए मार्गों का अनुसरण करते थे और एक सच्चे अनुयायी की तरह उनका पालन करते थे। उनकी राष्ट्रीयता भारतीय है। उनका बचपन खेलकूद में नहीं बल्कि भगवान की पूजा में बीता।

बागेश्वर धाम का उद्गम यह है लोगों के भरोसे बागेश्वर धाम भूत भवन महादेव गढ़ा में स्थित है और वह चंदेल कालीन सिद्धपीठ है। 1986 में ग्रामीणों द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया, उसके बाद 1987 के बीच गाँव के बाबा पंडित सेतुलाल गर्ग चित्रकूट से दीक्षा प्राप्त कर बागेश्वर धाम पहुंचे, जिसके बाद 1989 में एक बड़ा यज्ञ जुड़ा। जिसके बाद से बागेश्वर धाम प्रसिद्ध होने लगा। बागेश्वर धाम एक ऐसा धाम है जिसका दूर-दूर तक नाम और लोकप्रियता है। बागेश्वर धाम में प्रतिदिन लाखों भक्त अपनी समस्या लेकर आते हैं, जिनका समाधान बालाजी करते हैं। बागेश्वर धाम की लोकप्रियता और नाम का पूरा श्रेय धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को जाता है।

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