Letter Politics; सत्ता की लड़ाई लेटर पर आई, 24 में कौन खाएगा मलाई !

यूपी में इस दिनों नेताओं द्वारा लिखे जाने वाले लेटर का खास अर्थ होता है. अभी दो दिन पूर्व सपा के घोषित दोनों एमएलसी प्रत्याशी रामजतन राजभर और रामकरण निर्मल ने भाजपा के पिछड़े व दलित समाज के नेताओं को पत्र लिखकर समर्थन मांगा था. अब मंत्री असीम अरुण ने पत्र लिखकर अखिलेश यादव पर पलटवार किया है.

लखनऊ; कहते हैं राजनीति में हर एक चीज का कोई न कोई मतलब जरूर होता है. नेता सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के अपनी सहूलियत के हिसाब से लेटर लिखकर मांग करना, और उस लेटर को सोशल मीडिया पर वायरल करना आम बात है. लेकिन यूपी में पिछले कुछ समय से खास किस्म की राजनीति शुरू हो गई है. 2024 लोक सभा चुनाव को लेकर भाजपा व सपा में लेटर वार जारी है. दोनों दल के नेता एक दूसरे को पत्र लिख कर अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा सिद्ध करने की जुगत में लगे हैं.

क्या है लेटर राजनीति ?
यूपी में इस दिनों नेताओं द्वारा लिखे जाने वाले लेटर का खास अर्थ होता है. अभी दो दिन पूर्व सपा के घोषित दोनों एमएलसी प्रत्याशी रामजतन राजभर और रामकरण निर्मल ने भाजपा के पिछड़े व दलित समाज के नेताओं को पत्र लिखकर समर्थन मांगा. यह पत्र सपा की खास रणनीति के तहत डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद, अपना दल (सोनेलाल) के आशीष पटेल, सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर, मंत्री अनिल राजभर, दिनेश खटीक और लक्ष्मी नारायण चौधरी को लिखे गए.

इस पत्र के माध्यम से सपा एमएलसी प्रत्याशियों से अपील किया कि “भाजपा की सामाजिक नीति में भारी खोट है. भाजपा में गरीबों दलितों के लिए कोई स्थान नहीं है. इस लिए “दोनों प्रत्याशियों ने 29 मई को होने वाले चुनाव में मतदान देने की अपील की. पत्र में अखिलेश यादव को पिछड़ों, दलितों का हिमायती बताया गया.

वहीं, सपा की लेटर वाली राजनीति का भाजपा ने पलटवार किया है. योगी सरकार में समाज कल्याण विभाग के मंत्री असीम अरूण ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को पत्र सौंप कर सपा को कड़ा जवाब दिया. उन्होंने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को पत्र लिखकर सपा को आंबेडकर विरोधी बताया. मंत्री असीम अरुण ने डिप्टी सीएम से मांग की, कि कन्नौज मेडिकल कॉलेज का नाम बदल कर डॉ आंबेडकर मेडिकल कॉलेज किया जाए.

मंत्री असीम अरुण ने लेटर में पूर्व सीएम अखिलेश यादव को आंबेडकर विरोधी बताया. उन्होंने लिखा कि 2008 में कन्नौज मेडिकल कॉलेज का नाम बदलकर डॉ आंबेडकर मेडिकल कॉलेज किया गय था, जिसका नाम 2012 में उस समय के सीएम अखिलेश यादव ने बदलकर राजकीय मेडिकल कॉलेज कर दिया. अब इस मेडिकल कॉलेज का नाम फिर बदलकर डॉ आंबेडकर के नाम पर किया जाए. मंत्री असीम अरूण ने अपने इस लेटर के जरिए सपा की लेटर वाली रणनीति पर पलटवार किया.

कब से शुरू हुई लेटर राजनीति ?

दरअसल, यूपी में लेटर राजनीति 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान शूरु हुई थी. उस समय भाजपा सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अचानक अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के लिए उन्होंने जो पत्र लिखा वह काफी चर्चाओं में रहा. उन्होंने पत्र के जरिए भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया. इसके बाद उस समय के मंत्री दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के लेटर के कंटेट को कॉपी किया.

वहीं, जब लेटर वाला मामला ज्यादा चर्चाओं में आया तो भाजपा ने भी अपनी कूटनीटि के जरिए सपा के कई नेताओं को तोड़ा. इस्तीफा देने वाले सपा नेताओं ने भी पत्र लिखकर सपा और अखिलेश यादव पर दलितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. तात्कालिक मंत्रियों व सपा नेताओं के इस्तीफा वाले लेटर उस समय सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए थे.

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