2024 की तैयारी में जमीन पर उतरे अखिलेश, M-Y समीकरण और परिवारवाद के मिथ को तोड़ हिंदुत्व पर नजर

मिशन 2024 के लिए समाजवादी पार्टी पूरी तरह से एक्टिव हो गयी है. पार्टी सदस्यता अभियान चला रही है. पहली ये सदस्यता अभियान की जिम्मेदारी मुख्यालय से अलग जिले के बड़े नेताओं को सौंपी गई है...

मिशन 2024 के लिए समाजवादी पार्टी पूरी तरह से एक्टिव हो गयी है. पार्टी सदस्यता अभियान चला रही है. पहली ये सदस्यता अभियान की जिम्मेदारी मुख्यालय से अलग जिले के बड़े नेताओं को सौंपी गई है. इस सदस्यता अभियान के तहत पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज को प्रतापगढ़-कौशाम्बी, लालजी वर्मा को बलरामपुर, पूर्व सांसद अन्नू टंडन और लखनऊ में सदस्यता अभियान की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री अरविन्द सिंह गोप को दी गई है.

पार्टी पर जो सबसे बड़ा आरोप लगा रहता है वह केवल मुस्लिमों और यादवों की पार्टी है. इस मिथ को तोड़ने के लिए अखिलेश यादव पूरी तरह से हिंदुत्व पर फोकस कर रहे हैं. इस बार सावन के महीने में कांवड़ियों के लिए की गई व्यवस्था पर कोई विपरीत टिप्पणी न करते हुए कहा कि धर्म पर राजनीति और कोई बयान नहीं देना चाहिए.

अखिलेश यादव ने सदस्यता अभियान में नए नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी है. कयास लगाए जा रहे है की नए नेताओ को संगत में कई बड़े पद दिए जायेंगे। नए नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी और उनका कद बढ़ाया जायेगा. साथ ही पार्टी युवा कार्यकर्ताओं को जोड़ने का काम कर रही है.

पिछले एक सप्ताह में अखिलेश यादव कन्नौज और जौनपुर में छोटी छोटी जनसभाएं की है. सपा प्रमुख 2024 चुनाव के लिए प्रदेश के 75 जिलों की 80 लोकसभा सीटों को लेकर जमीनी स्तर पर खुद उतरेंगे. पार्टी अगस्त क्रांति दिवस यानी 9 अगस्त से पूर्वांचल में “देश बचाओ देश बनाओ समाजवादी पदयात्रा” की शुरुआत करने जा रही है. यात्रा का पहला चरण गाजीपुर से शुरू होगा. गाजीपुर से बलिया, मऊ ,आजमगढ़, जौनपुर, भदोही, होते हुए 19 अक्टूबर को वाराणसी पहुंचेगी और 27 अगस्त को वाराणसी में ही पहले चरण का समापन होगा. इसे अखिलेश यादव का पूर्वांचल के लिए मेघा प्लान कहा जा सकता है.

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