बांदा लोकसभा सीट पर वोटिंग शुरू, त्रिकोणीय लड़ाई में राह आसान नहीं, यहां देखें समीकरण क्या कहते हैं?

मगर समाजवादी पार्टी ने इस सीट से पटेल समाज की ही कृष्णा पटेल को चुनावी मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है।

Lok Sabha Election 2024: बांदा लोकसभा सीट पर वोटिंग शुरू हो चुकी है। इस बार यहां त्रिकोणीय लड़ाई है। यहां से वर्तमान बीजेपी सांसद, दूसरी बार बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी हैं। 2 बार सपा से विधायक रहे और 2 बार यूपी सरकार में मंत्री बने है। वहीं समाजवादी पार्टी से कृष्णा पटेल (पू. जिला पंचायत अध्यक्ष) पति- शिव शंकर पटेल 3 बार BJP से विधायक- कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री। बहुजन समाज पार्टी से पूर्व विधायक पुरुषोत्तम द्विवेदी के बड़े बेटे मयंक द्विवेदी मैदान में हैं। 

ब्राह्मण,दलित और पटेल जाति के बाहुल्य वाली इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से अपने नेता और मौजूदा सांसद आरके सिंह पटेल पर यकीन जताया है। आरके सिंह पटेल बीजेपी से मौजूदा सांसद होने के अलावा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के टिकट पर दो बार विधायक चुने गए। दोनों बार सपा की सरकार में वह मंत्री भी रहे हैं। पटेल कुर्मी समाज पर उनका काफी वर्चस्व माना जाता है।

मगर समाजवादी पार्टी ने इस सीट से पटेल समाज की ही कृष्णा पटेल को चुनावी मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। कृष्णा पटेल समाजवादी पार्टी की नेता है और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष है। उनके पति शिव शंकर सिंह पटेल इसी इलाके के मजबूत कुर्मी नेता माने जाते हैं। वह बीजेपी की कल्याण सिंह सरकार में मंत्री रहे हैं और तीन बार विधायक रहे हैं।

बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी मयंक द्विवेदी को चुनाव मैदान में उतारकर बीजेपी का खेल खराब करने की पूरी कोशिश की है। इस सीट पर टिकट वितरण को लेकर पहले से ही ब्राह्मण समाज बीजेपी से मुंह मोड़े हुए हैं। इसका फायदा मयंक द्विवेदी ने उठाया और ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगाई है।

मयंक द्विवेदी के पिता पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी बसपा की सरकार में नरैनी विधानसभा से विधायक रहे हैं। यह वही पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी हैं जिनके ऊपर शीलू निषाद नाम की दलित युवती को बंधक बनाकर गैंगरेप करने के आरोप लगे थे। पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी की 2021 में मौत हो गई थी।

पटेल समाज से इस सीट पर समाजवादी पार्टी और बीजेपी के प्रत्याशी आमने-सामने है। इसके बाद कुर्मी वोट बैंक में बंटवारा होना अनिवार्य माना जा रहा है। कृष्णा पटेल कुर्मी वोट बैंक के अलावा मुस्लिम, यादव, कुशवाहा और पाल समाज के वोट बैंक के साथ पीडीए के बूते यहां से जीत का दावा कर रही है जबकि आरके सिंह पटेल केंद्र और राज्य की डबल इंजन की सरकार की कल्याणकारी योजनाओं बताकर अपने लिए वोट मांग रहे है। बीजेपी के मुताबिक कोर वोटरों के अलावा यही जीत का आधार बनेगा।

सबसे गंभीर बात यह है कि जो ब्राह्मण वोट बैंक बीजेपी का कोर वाटर माना जाता था उसमें अबकी बार मयंक द्विवेदी ने ऐडा लगा दिया है। मयंक द्विवेदी के साथ ब्राह्मण समाज की संवेदनाएं इसलिए भी हैं कि उन्होंने तीन साल पहले इलाके के बड़े ब्राह्मण नेता अपने पिता को खो दिया था और वह पहली बार चुनाव मैदान में है।

जातिगत शमीकरण

ब्राहमण- 3.5 लाख
क्षत्रिय- 1 लाख
जाटव- 3 लाख
वैश्य- 1.5 लाख
पटेल-1.5 लाख
यादव- 1.5 लाख
मुस्लिम- 80 हजार
मौर्या- 75 हजार
लोधी- 90 हजार
प्रजापति- 80 हजार
निषाद- 1 लाख
पाल- 80 हजार
आरख + कहार- 80 हजार
कोरी- 80 हजार
धोबी- 40 हजार
सोनकर- 25 हजार
वाल्मीकि- 40 हजार
कोल- 40 हजार
अन्य जातियां- 50 हजार मतदाता

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