Loksabha Election 2024: आजमगढ़ में है किसका माहौल…, जनता ने बताया किसे करेगी वोट !

तमसा नदी के किनारे बसा उत्तर प्रदेश का शहर आजमगढ़ अपना ऐतिहासिक महत्व रखता है। आजमगढ़ को अयोध्या, कानपुर और बरेली जैसे ...

तमसा नदी के किनारे बसा उत्तर प्रदेश का शहर आजमगढ़ अपना ऐतिहासिक महत्व रखता है। आजमगढ़ को अयोध्या, कानपुर और बरेली जैसे कई शहरों का गेटवे यानी प्रवेश द्वार माना जाता है। आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र को कई दशकों तक समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गढ़ माना जाता था। हालांकि 2022 में हुए उप-चुनाव में जीत हासिल कर बीजेपी ने तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया। 2024 के आम चुनावों से पहले आजमगढ़ के वोटर इलाके में कम विकास होने की बात कह रहे हैं। उन्हें लगता है कि जातिवादी राजनीति कभी-कभी विकास के मुद्दों पर हावी हो जाती है।

आजमगढ़ निवासी प्रोफेसर ने कहा कि अब जो इलेक्शन हो रहे हैं, वो जाति समीकरण इतना ज्यादा वो गहरा हो गया है कि अब जो असल इलेक्शन की बुनियाद होती है यानी आर्थिक विकास, आर्थिक संपन्नता, सामाजिक सौहार्द का वातावरण या इस तरह की दूसरी चीजें, जो किसी भी इलेक्शन का मेनिफेस्टो बनती हैं, वो अब नहीं रह गईं हैं। अब ज्यादातर इलेक्शन मैं देख रहा हूं कि पूरे यूपी में या कह लीजिए कि पूरे इंडिया में वो जाति समीकरण के आधार पर ही होता है।

आजमगढ़ के वोटर सार्वजनिक शौचालयों की कमी का मुद्दा भी उठा रहे हैं। उन्हें लगता है कि इस ओर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। इस पर एक आजमगढ़ निवासी युवक ने कहा कि कहीं नहीं आजमगढ़ में जाओ देख लो, कहां यहां से पेशाब लग जाए, यहां से जाओ, चले जाओ कहां सदर हॉस्पिटल तक, न कहीं लैट्रिन की जगह है, न कहीं पेशाब की जगह है।

लोकसभा चुनाव को लेकर कुछ वोटर विपक्षी गुट इंडिया के उम्मीदवार के लिए अपना समर्थन दिखा रहे हैं। वहीं कुछ वोटरों को लगता है कि आगामी चुनाव में आजमगढ़ सीट पर फिर बीजेपी का ही कब्जा होगा।

इस पर एक युवक ने कहा कि जीतने के लिए तो गठबंधन का प्रत्याशी ही जीतेगा आजमगढ़ से, ये तो सच है, क्योंकि भाजपा के प्रति जो आक्रोश है, गांव में है, गरीबों में है, मजदूरों में है, पिछड़ों में है जो आक्रोस है, उस आक्रोश के हिसाब से यही कहा जा सकता है कि जीतने के लिए गठबंधन का प्रत्याशी ही जीतेगा। वही एक अन्य ने कहा कि कोई लोकल मुद्दा नहीं रह गया अब। अब ये देश का ही मुद्दा है और ये मोदी जी के नाम पर और योगी जी के नाम पर ही वोट पड़ रहा है विगत 10 साल से और ये पांच साल से, तो उनके नाम पर ही वोट पड़ेगा, बाकी और किसी के लोकल प्रत्याशी या और किसी के आने-जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यही लोग जीतेंगे और कोई विकल्प नहीं मिलता है। विकल्प बहुत कमजोर है, जो विपक्षी लोग हैं विकल्प के रूप में वो बहुत कमजोर हैं, उनकी राजनीति बहुत कमजोर किस्म की है।

आजमगढ़ सीट से बीजेपी ने जहां भोजपुरी स्टार दिनेश यादव निरहुआ को फिर से उम्मीदवार बनाया है, वहीं समाजवादी पार्टी ने अब तक इस सीट से किसी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। माना जा रहा है कि पार्टी इस सीट से फिर से धर्मेंद्र यादव पर दांव खेल सकती है।

समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने 2019 में बीजेपी के निरहुआ को हराकर सीट जीती थी। हालांकि उप-चुनाव में निरहुआ जीत हासिल करने में कामयाब रहे। आजमगढ़ लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ और मेहनगर शामिल हैं। 18वीं लोकसभा के सांसद चुनने के लिए चुनाव अप्रैल और मई के महीनों में कराए जा सकते हैं।

Related Articles

Back to top button