नए संसद भवन में भगवान राम की एंट्री ,जानिए क्या है मामला

प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में कहा कि नए संसद भवन में रामराज्य की स्थापना करें .पत्र में उन्होंने लिखा है कि अत्यंत हर्ष का विषय है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारतदेश का नवीन संसद भवन आपके द्वारा 28 मई 2023 को उद्घाटित किया जा रहा है.

28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर पक्ष-विपक्ष में विवाद चल ही रहा था कि मध्य प्रदेश के भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने नए संसद भवन परिसर में भगवान राम के लिए स्थान मांगा है. भाजपा विधायक ने निवेदन किया है कि नए संसद भवन में रामराज्य को साकार करने के लिए राम-चरण पादुका को स्थापित किया जाए. मध्य प्रदेश में कभी विंध्य प्रदेश को अलग प्रांत बनाने की मांग को लेकर तो कभी अर्जुन सिंह की प्रतिमा लगाने के लिए सुर्खियां में बने रहते है .भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने इस बार भगवान राम का सहारा लिया है.

उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में कहा कि नए संसद भवन में रामराज्य की स्थापना करें .पत्र में उन्होंने लिखा है कि अत्यंत हर्ष का विषय है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारतदेश का नवीन संसद भवन आपके द्वारा 28 मई 2023 को उद्घाटित किया जा रहा है. भारत की स्वतंत्रता उपरांत तत्कालीन ब्रिटिश सरकार एवं भारत सरकार के मध्य सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक जो कि 2600 वर्ष पूर्व के चोल राजवंश के राजदंड “सेंगोल” को स्थापित करने की योजना स्वागतयोग्य है. तपोभूमि विंध्यप्रदेश का चित्रकूट क्षेत्र ‘राम-भरत मिलाप’ का प्रमाणिक स्थल होने के साथ-साथ रामराज्य की प्रथम संकल्पना की जननी भी है. इस स्थान पर सर्वप्रथम भ्राता भरतजी ने मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम से रामराज्य की स्थापना हेतु सत्ता हस्तांतरण करना चाहा था, जिसके परिणामस्वरूप प्रभु श्रीराम ने गुरुजनों की सहमति पर स्वयं अपनी चरण पादुका (खड़ाऊ) प्रतीक स्वरूप भरतजी को प्रदान कर औपचारिक रूप से रामराज्य की स्थापना प्रारंभ की थी. अतः भारतीय सनातन धर्म एवं संस्कृति में सत्ता हस्तांतरण का इससे बेहतर प्रतीक अन्य कोई नहीं. भारत के सत्ता केन्द्र में रामराज्य का प्रतीक चिन्ह स्थापित किया जाना आवश्यक भी है और यह समय की मांग भी है.

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