MahaKumbh 2025: ऐतिहासिक धार्मिक मेला और आर्थिक प्रभाव

प्रयागराज से वाशिंगटन डीसी तक की दूरी से भी ज्यादा है। इसके अलावा, 100 किलोमीटर का कपड़ा और 250 टन CGI शीट्स का इस्तेमाल किया गया।

महाकुंभ – दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा, बुधवार को अपने समापन की ओर बढ़ रहा है और इसने पिछले 45 दिनों में अब तक 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है। इस दौरान, लाखों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई, विशेष रूप से महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर।

महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बुधवार सुबह 2 बजे तक 11.66 लाख श्रद्धालुओं ने महाशिवरात्रि पर संगम में डुबकी लगाई। इसके बाद, श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ी और सुबह 6 बजे तक यह संख्या 41.11 लाख तक पहुंच गई। सुबह 10 बजे तक, कुल 81.09 लाख श्रद्धालुओं ने अंतिम ‘स्नान’ किया। यह आयोजन गंगा, यमुन और पौराणिक स Saraswati नदियों के संगम पर हुआ है।

आर्थिक योगदान: राज्य की अर्थव्यवस्था में भारी वृद्धि

महाकुंभ ने न केवल करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित किया बल्कि यह एक आर्थिक ड्राइवर के रूप में भी उभरा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कहा कि महाकुंभ राज्य की अर्थव्यवस्था को 3 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने में मदद करेगा।

महाकुंभ ने इस वर्ष 65 करोड़ श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है, जो कि पूरी दुनिया की अधिकांश देशों की आबादी से भी अधिक है। प्रमुख स्नान दिवस जैसे मौनी अमावस्या पर लगभग 8 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे, जो एक दिन की सबसे बड़ी भीड़ रही।

3 लाख करोड़ रुपये की राजस्व सृजन

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के आयोजन पर लगभग 7,500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, और मुख्यमंत्री योगी ने राज्य की अर्थव्यवस्था में 3 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक योगदान का अनुमान व्यक्त किया है।

सरकारी आंकड़े के अनुसार, यदि प्रत्येक श्रद्धालु औसतन 8,000 रुपये खर्च करता है, तो यह आंकड़ा 3.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भी इन अनुमानों का समर्थन किया है, और कहा है कि महाकुंभ में श्रद्धालुओं के द्वारा 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का खर्च होने का अनुमान है।

100 किलोमीटर का कपड़ा और 3,000 श्रमिक

इस वर्ष की टेंट सिटी का निर्माण असाधारण रूप से बड़ा था। इस दौरान 68 लाख लकड़ी के खंभों का इस्तेमाल किया गया, जिनकी कुल लंबाई 20,726 किलोमीटर से अधिक है, जो कि प्रयागराज से वाशिंगटन डीसी तक की दूरी से भी ज्यादा है। इसके अलावा, 100 किलोमीटर का कपड़ा और 250 टन CGI शीट्स का इस्तेमाल किया गया।

सुरक्षा व्यवस्थाएं: 50,000 पुलिसकर्मी और अत्याधुनिक तकनीकी निगरानी

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की विशाल संख्या को संभालने के लिए एक मजबूत सात-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई है। इस सुरक्षा व्यवस्था में 50,000 पुलिसकर्मी, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और अत्याधुनिक तकनीकी उपकरण जैसे AI कैमरे और अंडरवाटर ड्रोन शामिल हैं।

कुल मिलाकर, 2,700 AI कैमरे और 113 अंडरवाटर ड्रोन लगाए गए हैं, जो सुरक्षा और निगरानी के लिए वास्तविक समय की रिपोर्ट प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष

महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक महत्व का एक आयोजन है बल्कि उत्तर प्रदेश की आर्थिक और प्रशासनिक क्षमता को भी दुनिया के सामने लाने वाला महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह आयोजन भारत के धार्मिक धरोहर के साथ-साथ राज्य की वृद्धि और विकास में भी योगदान दे रहा है, और इसके आर्थिक प्रभाव को लेकर राज्य सरकार का अनुमान है कि यह 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है।

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