Mahakumbh 2025: बसंत पंचमी पर आज खास होगा अमृत स्नान, त्रिवेणी संगम में भक्तों का सैलाब

महाकुंभ मेला में बसंत पंचमी का दिन खास होता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम (प्रयागराज) में डुबकी लगाने के लिए आते हैं। मान्यता है...

महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान आज से शुरू हो चुका है। बासंत पंचमी के दिन, ब्रह्म मुहूर्त में पंचमी तिथि का महत्व है, और इस विशेष दिन को अमृत स्नान के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिन सबसे पहले नागा साधु अपने अखाड़ों से स्नान करेंगे। उसके बाद, वे महाकुंभ से अपने अखाड़ों की ओर लौट जाएंगे। नागा साधुओं के साथ-साथ लाखों श्रद्धालु भी प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाएंगे।

Maha Kumbh Mela, humanity’s largest gathering, begins in Prayagraj - India  Today

बसंत पंचमी के अमृत स्नान का महत्व

बसंत पंचमी का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, और इस दिन को अमृत स्नान के रूप में मनाया जाता है, खासकर महाकुंभ मेला के दौरान। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से गहरा संबंध है।

  1. धार्मिक महत्त्व: बसंत पंचमी को विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण, सरस्वती देवी और माता गौरी के पूजन का दिन माना जाता है। यह दिन ज्ञान, संगीत, कला और शिक्षा का प्रतीक है। इस दिन को अमृत स्नान के दिन के रूप में मनाना, पुण्य प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
  2. महाकुंभ का हिस्सा: महाकुंभ मेला में बसंत पंचमी का दिन खास होता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम (प्रयागराज) में डुबकी लगाने के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उसकी आत्मा शुद्ध होती है।
  3. नागा साधुओं का स्नान: इस दिन नागा साधु पहले स्नान करते हैं, जो महाकुंभ के दौरान अपनी तपस्या और साधना के लिए प्रसिद्ध होते हैं। उनका यह स्नान धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, और उनके बाद आम श्रद्धालु भी इस अवसर का लाभ उठाते हैं।
  4. आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ: माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शुद्धता मिलती है। यह दिन आत्मिक उन्नति के साथ-साथ शरीर और मन को ताजगी और शक्ति प्रदान करने वाला है।

अखाड़ों का अमृत स्नान शुरू

महाकुंभ के दौरान बसंत पंचमी के अमृत स्नान के लिए अखाड़ों का स्नान शुरू हो चुका है। महानिर्वाणी अखाड़ा पहले ही संगम स्थल पर पहुंच चुका है, जहां वह सबसे पहले अमृत स्नान करेगा। इसके साथ ही निरंजनी और आनंद अखाड़े के साधु भी अपने शिविरों से निकलकर संगम स्थल की ओर बढ़ चुके हैं, ताकि वे भी इस पवित्र अवसर पर स्नान कर सकें। बसंत पंचमी के दिन अखाड़ों का अमृत स्नान एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान होता है, जो महाकुंभ के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है।






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