
पुणे में दलितों की तीन हजार करोड़ की जमीन के घोटाले ने सबको चौंका दिया है…बेशकीमती संपत्ति महज 300 करोड़ में हथियाई और रजिस्ट्री में महज पांच सौ रुपये के स्टाम्प लगवाए…क्या है ये पूरा मामला चलिए जानते हैं….
दरअसल, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार ने दलितों के लिए आरक्षित जमीन का घोटाला कर लिया। और इसकी बाजार में कीमत तीन हजार करोड़ बताई जा रही है। पार्थ पर अब तक न FIR हुई और न उनके पिता ने इसकी जिम्मेदारी ली। कहा जाता है कि अजित पवार वैसे भी घोटालों के लिए महाराष्ट्र की राजनीति में काफी नाम कमा चुके हैं। अब बेटे ने भी जमीन घोटाला करके नया कांड परिवार में जोड़ दिया है। ये मामलामहाराष्ट्र की राजनीति में काफी चर्चा में है।
बता दें कि पुणे के मुंधवा इलाके की करीब 40–43 एकड़ जमीन से जुड़े कथित ₹1,800 करोड़ के जमीन सौदे पर अब महाराष्ट्र सरकार ने उच्च-स्तरीय जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। यह कार्रवाई उस समय तेज हो गई जब Inspector General of Registration (IGR) ने सरकार को एक अंतरिम रिपोर्ट भेजकर गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किया।
क्या है पूरा मामला?
सरकारी दस्तावेजों के अनुसार यह जमीन ‘Mahar Watan’ सरकारी श्रेणी में दर्ज है और ऐतिहासिक रूप से इसका राज्य सरकार से सीधा संबंध रहा है। जमीन को पहले Indian Botanical Survey को मात्र ₹1 प्रतिवर्ष किराए पर लीज पर दिया गया था और यह लीज 2038 तक बढ़ी हुई है। ऐसे मामलों में सरकार की अनुमति के बिना जमीन की खरीद-फरोख्त संभव नहीं होती।
इसके बावजूद यह जमीन मई 2025 में Amadea Enterprises LLP के नाम एक रजिस्ट्रेशन डीड के जरिए दर्ज की गई। इतना ही नहीं कंपनी का संबंध उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार से जोड़ा जा रहा है। हालांकि FIR में उनका नाम नहीं है, लेकिन कंपनी के साझेदार दिग्विजय अमरसिंह पाटिल का नाम दो FIR में दर्ज किया गया है।
₹21 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी सिर्फ ₹500 कैसे बनी?
IGR रिपोर्ट के मुताबिक
जमीन का बाज़ार मूल्य: लगभग ₹1,800 करोड़
घोषित बिक्री मूल्य: ₹300 करोड़
देय स्टाम्प ड्यूटी (स्थानीय कर सहित): ₹21 करोड़
वसूल की गई ड्यूटी: सिर्फ ₹500
राज्य सरकार की फरवरी 2024 की एक नीति में डेटा सेंटर परियोजनाओं को स्टाम्प ड्यूटी में छूट दी गई थी। कंपनी ने इसी नीति का हवाला देकर रियायत ली, लेकिन बाद में परियोजना रद्द हो जाने के बाद भी पूर्ण ड्यूटी नहीं चुकाई गई। विभाग के अधिकारियों ने साफ किया कि कम-से-कम 2% की ड्यूटी और LBT व मेट्रो टैक्स (करीब ₹6 करोड़) किसी भी स्थिति में लगते ही हैं।
IGR रिपोर्ट में तत्कालीन जॉइंट सब-रजिस्ट्रार रविंद्र तारू पर गंभीर प्रक्रियागत चूक के आरोप लगे हैं। उन्हें निलंबित कर दिया गया है। इसी के साथ 5.99 करोड़ की रिकवरी नोटिस जारी की है..खरीदार कंपनी, पावर ऑफ अटॉर्नी धारक और अन्य जिम्मेदारों पर आपराधिक कार्रवाई की तैयारी की है
इसके अलावा इस मामले पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बयान दिया है कि विवादित मुंधवा जमीन का सौदा अब रद्द कर दिया गया है और सरकार जांच में सहयोग कर रही है। 8 दिनों में अंतिम रिपोर्ट आएगी….जानकारी के लिए बता दें कि राज्य सरकार ने एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई है जो पंजीकरण विभाग की कार्यप्रणाली की जांच के साथ राजस्व नुकसान का आकलन भी करेंगी और रिपोर्ट को जमा करेगी









