
नई दिल्ली: यूरोपीय रक्षा प्रमुख जॉन कोकेरिल और भारतीय कंपनी इलेक्ट्रो न्यूमैटिक्स एंड हाइड्रोलिक्स लिमिटेड (EPHL) ने मंगलवार को भारतीय सेना के ज़ोरावर लाइट टैंक प्रोग्राम के लिए टर्रेट्स (घूर्णन संरचनाएं) बनाने के लिए एक ज्वाइंट वेंचर (JV) स्थापित करने की घोषणा की। यह साझेदारी भारतीय सेना के लिए अत्याधुनिक रक्षा समाधान तैयार करने के उद्देश्य से स्थापित की गई है।
भारत के ज़ोरावर लाइट टैंक प्रोग्राम को मिलेगा मजबूती
भारतीय सेना की योजना 350 से अधिक लाइट टैंकों को तैनात करने की है, जिनमें से अधिकांश सीमा के विवादित क्षेत्रों में होंगे। ज़ोरावर टैंक भारतीय सेना के लिए एक अत्यंत बहुमुखी प्लेटफ़ॉर्म है, जो विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण और दुर्गम भौगोलिक क्षेत्रों में उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है।
टर्रेट का महत्व और जॉइंट वेंचर का उद्देश्य
टर्रेट एक घूर्णन संरचना होती है जो टैंक के गन को उसकी मुख्य शरीर से जोड़ती है। इस ज्वाइंट वेंचर का उद्देश्य भारतीय सेना के लाइट टैंक प्रोग्राम के लिए टर्रेट्स का निर्माण, असेंबली और कमीशनिंग करना है। इसके साथ ही, यह ज्वाइंट वेंचर विदेशी बाजारों के लिए भी टर्रेट्स बनाने की योजना रखता है।
जॉन कोकेरिल और EPHL का साझा लक्ष्य
जॉन कोकेरिल के सीईओ, थियरी रेनौडिन ने कहा, “हम भारत को दुनिया का निर्माण हब बनाने में सहयोग दे रहे हैं। हमारी यह साझेदारी भारत की रक्षा आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य का समर्थन करती है।” जॉइंट वेंचर के माध्यम से भारतीय सेना को शक्तिशाली और कस्टमाइज्ड रक्षा समाधान प्राप्त होंगे, जो विशेष रूप से भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतों के अनुरूप होंगे।
इलेक्ट्रो न्यूमैटिक्स एंड हाइड्रोलिक्स लिमिटेड (EPHL) के जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, इंग्रिड रस्किन्हा ने कहा, “हमारी यह साझेदारी भारत के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को सशक्त बनाती है, जिससे भारतीय सेना के लिए विश्वस्तरीय रक्षा समाधान घरेलू स्तर पर निर्मित होंगे।”
साझेदारी का महत्व और भविष्य की योजनाएं
यह ज्वाइंट वेंचर भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। जॉइंट वेंचर के तहत 59 टर्रेट्स की शुरुआत की जाएगी, जो भारतीय सेना के लाइट टैंक प्रोग्राम के लिए होंगे। दोनों कंपनियों ने इस ज्वाइंट वेंचर में निवेश की राशि के बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की है।
EPHL के जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, ऐशले रस्किन्हा ने कहा, “यह साझेदारी सिर्फ एक व्यावसायिक समझौता नहीं है; यह भारत के रक्षा निर्माण क्षमताओं को वैश्विक मंच पर और मजबूत करने का एक कदम है।”