मेक इन इंडिया योजना से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की वृद्धि की भूख बढ़ी, रोजगार में वृद्धि

स्थानीय और स्वदेशी खाद्य उत्पादन में वृद्धि हुई है। इस योजना ने क्षेत्र में विभिन्न प्रोत्साहन और योजनाएं लागू की हैं।

  • खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में वृद्धि
    • सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2015-16 में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धित (GVA) 1.61 लाख करोड़ रुपये था, जो 2022-23 में बढ़कर 1.92 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह वृद्धि लगभग 5.35% की वार्षिक दर से हुई है।
  • मेक इन इंडिया की भूमिका
    • सरकार का कहना है कि मेक इन इंडिया योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण को विशेष बढ़ावा दिया गया है, जिससे स्थानीय और स्वदेशी खाद्य उत्पादन में वृद्धि हुई है। इस योजना ने क्षेत्र में विभिन्न प्रोत्साहन और योजनाएं लागू की हैं।
  • कृषि-खाद्य निर्यात में वृद्धि
    • 2023-24 में कृषि-खाद्य निर्यात ने कुल निर्यात का 23.4% हिस्सा बनाया, जबकि 2014-15 में यह आंकड़ा केवल 13.7% था।
  • प्रमुख पहलें और नई परियोजनाएं
    • पिछले साल में 1,608 नई परियोजनाएं शुरू की गईं, जिनमें 41 मेगा फूड पार्क, 394 कोल्ड चेन प्रोजेक्ट्स, और 75 एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। इन परियोजनाओं से किसानों की आय में वृद्धि, कृषि अपव्यय में कमी, और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
  • रोजगार सृजन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
    • इन पहलों ने 2.84 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजन किया है। इसके अलावा, मखाना (फॉक्स नट) उत्पादन जैसे नए उद्योगों को बढ़ावा दिया गया है, जो भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को सशक्त बना रहे हैं।

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