मलेशिया के उद्योगपति अनंद कृष्ण का निधन,बेटे ने छोड़ी अरबों की संपत्ति और बने भिक्षु

डेस्क : ये वैराग्य की ऐसी वास्तविक कहानी है जो आपको हैरान कर सकती है।दौलत शोहरत की दीवानी दुनिया में एक बड़ा उदाहरण है आनंद कृष्णन और उनके बेटे की वास्तविक कहानी।

मलेशिया के सबसे अमीर अरबपति व्यापारी आनंद कृष्णन ने इकलौते वारिस उनके बेटे ने वैराग्य ले किया। बौद्ध मठ चले गए। भिक्षु हो गए। संत बन गए। घर बार धन दौलत महल सब छोड़ दिया।

करीब 50 हजार करोड़ की दौलत को आनंद के बेटे अजहान श्रीपयनो (Ajahn Siripanyo) ने ठुकरा दिया और बौद्ध भिक्षु बन गए।

आनंद कृष्णन, टेलीकॉम, सैटेलाइट, तेल, गैस जैसे कारोबार में मलेशिया के सबसे बड़े व्यापारी हैं। भारतीय मूल के हैं लेकिन पूरी तरह मलेशियन। आनंद कृष्णन की सारी दौलत उनके सामने है लेकिन इकलौता बेटा उनकी दौलत और चमक दमक छोड़कर चला गया।

मलेशिया के प्रसिद्ध उद्योगपति और तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति अनंद कृष्ण का निधन हो गया। उनकी निवेश कंपनी “उसाहा टेगास” ने इस खबर की पुष्टि की। अनंद कृष्ण का व्यापार दूरसंचार, मीडिया, तेल-गैस, और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ था। उनकी संपत्ति ₹40,000 करोड़ (लगभग 5 अरब अमेरिकी डॉलर) से अधिक थी।

कंपनी ने उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा, “उन्होंने देश के विकास और कॉर्पोरेट जगत में बड़ा योगदान दिया। उनकी परोपकारी पहलों ने लाखों लोगों की जिंदगी बदली।”

बेटे ने छोड़ी अरबों की संपत्ति, अपनाई सन्यास की राह

अनंद कृष्ण के इकलौते बेटे, वेन अजाह्न सिरिपण्यो ने 18 साल की उम्र में अपने पिता की अरबों की संपत्ति त्याग कर बौद्ध भिक्षु बनने का निर्णय लिया। सिरिपण्यो का यह निर्णय उनके पिता की धार्मिक आस्थाओं से प्रेरित था। परिवार ने उनके इस फैसले का पूरा सम्मान किया।

सिरिपण्यो ने थाईलैंड में एक अस्थायी धार्मिक प्रवास के दौरान सन्यास लिया। बाद में उन्होंने इसे अपना जीवन बना लिया। आज वे थाईलैंड-म्यांमार सीमा पर स्थित डाओ डम मठ के प्रमुख हैं।

राजसी विरासत और साधारण जीवन

वेन अजाह्न सिरिपण्यो का जन्म एक धनी और राजसी परिवार में हुआ। उनकी मां सुप्रिंदा चक्रबान थाई शाही परिवार से संबंध रखती हैं। सिरिपण्यो ने लंदन में पढ़ाई की और बचपन से विभिन्न संस्कृतियों को करीब से जाना। वे आठ भाषाएं बोल सकते हैं, जिनमें अंग्रेजी और तमिल भी शामिल हैं।

जंगलों में जीवन और ध्यान

एक जंगल भिक्षु के रूप में सिरिपण्यो का जीवन बेहद सरल है। वे भिक्षा मांगकर अपना गुजारा करते हैं और ध्यान और साधना में समय बिताते हैं। हालांकि, वे समय-समय पर अपने परिवार से मिलने भी जाते हैं।

उनकी इस कहानी को आधुनिक दुनिया में त्याग और आध्यात्मिकता का अद्भुत उदाहरण माना जाता है। सिरिपण्यो का जीवन दिखाता है कि कैसे आधुनिक सुख-सुविधाओं के बीच भी कोई प्राचीन आध्यात्मिक मूल्यों को अपना सकता है।

Related Articles

Back to top button