
डिजिटल डेस्क- कहते हैं कि औरत अगर चाह ले…तो वो इस दुनिया में कुछ भी कर सकती है,और अपने बुलंद इरादों से किसी भी परेशानी को पार करते हुए बहुत कुछ हासिल कर सकती है. कुछ ऐसी ही कर दिखाया है CCD की CEO मालविका हेगड़े ने…
मालविका हेगड़े ने अपनी पति की मौत के बाद डूबते हुए CCD कंपनी की कमान संभाली.और दूसरी पारी के तौर पर CCD को संभालते हुए कंपनी को वापस से पटरी पर ला दिया है.अब कंपनी उसी रफ्तार के साथ दौड़ रही है जैसे की अपने दौर एक वक्त पर चला करती थी.
CCD पर हजारों करोड़ का कर्ज
दरअसल, मार्च 2019 के समय में CCD कंपनी पर 7000 करोड़ का कर्ज था. कर्ज में डूबे CCD के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ की मौत के बाद से मालविका हेगड़े ने पूरी बागडोर संभाली और कॉफी कल्चर के बिजनेस को टॉप पर ले जाने की ठान ली. यही वजह है कि कंपनी पर जो कर्ज था वो बिल्कुल ही न के बराबर आ गया है.
मालविका हेगड़े ने सभी 25,000 से अधिक कर्मचारियों को लिखा था कि वो CCD को बचाने और अपने पति द्वारा छोड़ी गई विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगी.
मालविका ने कर्ज को चुकाने के लिए कई तरीके के मॉडल को तैयार किया. उन्होंने अलाभकारी कॉफी मशीनों को बंद करके भारी लागत में कटौती की. CCD 1000+ आउटलेट्स से सिर्फ 500 पर आ गया. कर्ज अब 5000 करोड़ था.
कर्ज को और कम करने के लिए मालविका ने कंपनी में हिस्सेदारी बेच दी. साथ ही साथ इन्वेस्टर्स को और बढ़ाया. इस कदम से कर्ज़ 5000 करोड़ से घटकर 2693 करोड़ हो गया. उन्होंने बेंगलुरु में ग्लोबल विलेज टेक पार्क के रणनीतिक अधिग्रहण के माध्यम से ब्लैकस्टोन प्राइवेट इक्विटी से भी पैसा जुटाया. हालाँकि इससे कंपनी में परिवार की हिस्सेदारी कम हो गई, लेकिन समय की मांग थी और विरासत को संरक्षित करना था.
2693 करोड़ का अभी भी काफी कर्ज था. उन्होंने अपने 20,000 एकड़ के खेत से हाई क्वालिटी वाली अरेबिका बीन्स का निर्यात किया. इसी वजह से विदेशों में इसकी मांग सिर चढ़कर बोलने लगी. उन्होंने CCD वैल्यू एक्सप्रेस कियोस्क भी लॉन्च किया, जहां ग्राहक राजमार्ग पर, कार्यस्थलों, थिएटरों या यहां तक कि अपने पसंदीदा मॉल में सीसीडी आउटलेट पा सकते थे. कर्ज काफी कम होकर 1731 सीआर पर आ गया.
आज की तारीख में CCD के पास 165 शहरों में 572 कैफे, 333 वैल्यू एक्सप्रेस कियोस्क और 36,000 से अधिक कॉफी मशीनें हैं.अनुमान के हिसाब से मालविका ने आज के समय में कर्ज घटाकर सिर्फ 465 करोड़ कर दिया है.
अब इसी से अंदाजा लगा सकते है कि मालविका ने अपने दमदार इरादों से कर्ज को कई गुना कम कर दिया है. और पति की आत्महत्या के बाद से हिम्मत बांधते हुए अपने परिवार को संभालते हुए CCD की विरासत को भी कई गुना आगे बढ़ाने के बारे में सोच रही है.
CCD की शुरुआत
आज आपको हर जगह कॉफी पीने को मिल जाएगी,वो भी कई तरीके के फ्लेवर वाली…लेकिन बहुत साल पहले अपने देश में कॉफी के नाम पर सिर्फ एक ही जगह फेमस थी.और वो है CCD.
कॉलेज जाने वाले लोग वो या फिर बिजनेस के लिए मीटिंग करने वाले लोग अगर उनको कॉफी पीनी होती थी वो CCD का ही रुख करते थे.CCD यानी की कैफे कॉफी डे का. 1996 में कॉफी के जबरदस्त क्रेज को देखते हुए वीजी सिद्धार्थ ने CCD की शुरुआत की थी.इसके बाद कंपनी में कई तरीके की समस्याएं आई.और वो धीरे-धीरे करके कर्जे में डूबते हुए चली गई.और कर्ज 7000 करोड़ तक पहुंच गया था.
मालविका हेगड़े के कमाल के विजन से अब कंपनी को बहुत मुनाफा हो रहा है. वो CCD कंपनी को हमेशा टॉप पर देखने चाहती है.