आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज की सिल्वर जुबली में शामिल होंगे मोहन भागवत समेत कई दिग्गज नेता

24 दिसंबर को जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज को आचार्य महामंडलेश्वर के पद पर 25 साल पूरे हो रहे हैं। आचार्य पद पर 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हरिद्वार में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में देश के कई बड़े संत और बड़ी राजनीतिक हस्तियां शिरकत करेंगी। इस भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल होने वाले हैं।

RSS Chief Mohan Bhagwat in Haridwar: 24 दिसंबर को जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज को आचार्य महामंडलेश्वर के पद पर 25 साल पूरे हो रहे हैं। आचार्य पद पर 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हरिद्वार में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में देश के कई बड़े संत और बड़ी राजनीतिक हस्तियां शिरकत करेंगी। इस भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल होने वाले हैं। 24 दिसंबर को होने वाले इस कार्यक्रम में कई राज्यों के नेता भी भाग लेने पहुंच रहे हैं। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीएम योगी भी शामिल होंगे। आयोजन की तैयारियां अखाड़ा और आश्रम के साथ ही प्रशासन भी कर रहा है।

हरिद्वार के हरिहर आश्रम में शुरू होने वाला दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव 24 दिसंबर से 26 दिसंबर तक चलेगा। कार्यक्रम में उद्घाटन पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के अलावा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और गोवा के सीएम प्रमोद सावंत को भी आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम में संत सम्मेलन के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल भी शिरकत करेंगे। इसके अलावा हिमाचल, केरल, जम्मू कश्मीर के अलावा कई अन्य राज्यों के राज्यपाल भी उपस्थित हो सकते हैं।

कौन हैं आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद

स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज हिंदू आध्यात्मिक गुरु, संत, लेखक और दार्शनिक हैं। स्वामी अवधेशानंद गिरि जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर हैं, उन्हें जूना अखाड़े का प्रथम पुरुष मान जाता है। जूना अखाड़ा भारत में नागा साधुओं का बहुत पुराना और बड़ा समूह है। स्वामी अवधेशानंद गिरि ने लगभग दस लाख नागा साधुओं को दीक्षा दी है और वे उनके पहले गुरु हैं। इनका आश्रम कनखल, हरिद्वार में है। स्वामी अवधेशानंद गिरि हिंदू धर्म आचार्य सभा के अध्यक्ष हैं और वर्ल्ड काउंसिल ऑफ रिलीजियस लीडर्स के बोर्ड मेंबर भी हैं।

स्वामी अवधेशानंद का प्रारंभिक जीवन और संन्यास

स्वामी अवधेशानंद गिरि का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के खुर्जा में एक खाण्डल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बताया जाता है कि अपने बाल्य काल में स्वामी अवधेशानंद गिरि प्रायः अपने पिछले जन्म के बारे में बात किया करते थे। उन्होंने 17 साल की उम्र में ही संन्यास के लिए घर छोड़ दिया था। घर छोड़ने के बाद उनकी भेंट स्वामी अवधूत प्रकाश महाराज से हुई, स्वामी अवधेशानंद गिरि ने उनसे वेदांत दर्शन और योग की शिक्षा ली। गहन ध्यान और तप के बाद वर्ष 1985 में स्वामी अवधेशानंद जब हिमालय की कंदराओं से बाहर आए तो उनकी भेंट अपने गुरु, पूर्व शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि से हुई। स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली और अवधेशानंद गिरि के नाम से जूना अखाड़ा में प्रवेश किया। वर्ष 1998 के हरिद्वार कुंभ में, जूना अखाड़े के सभी संतों ने मिलकर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी को आचार्य महामंडलेश्वर के रूप में नियुक्त किया। वह श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के सदस्य हैं। वर्तमान में, स्वामी अवधेशानंद गिरि प्रतिष्ठित समनव्य सेवा ट्रस्ट, हरिद्वार के अध्यक्ष हैं, जिसकी भारत और विदेश में कई शाखाएं हैं। इस ट्रस्ट में विश्व प्रसिद्ध, भारत माता मंदिर, हरिद्वार सम्मिलित हैं।

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