सनातन धर्म की संस्कृति में ब्रज की 84 कोसीय परिक्रमा को मोक्षदायिनी माना जाता है। पौराणिक व्याख्यानों के अनुसार यह विश्वास किया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने मैया यशोदा और नंदबाबा के दर्शनों के लिए सभी तीर्थों को ब्रज में बुला लिया था। मान्यता है कि 84 कोस की परिक्रमा लगाने से 84 लाख योनियों से छुटकारा मिलता है। सरकार 84 कोसीय परिक्रमा की इस शास्त्रीय जन आस्था को एक स्वरुप देने व सुविधाओं को बढ़ाने में जुटी हुई है। ब्रज का परिक्रमा मार्ग एक शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर का नजारा बनने जा रहा है।
सरकार की मंशा के अनुरूप भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा राधा-कृष्ण की लीला स्थली में 84 कोसीय परिक्रमा मार्ग के विकास की योजना भी स्वीकृत की गई है। इस कार्य का डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) बनाने का कार्य प्रगति पर है। इस योजना की अनुमानित लागत लगभग 9000 करोड़ रुपये है। इसी तरह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा मथुरा-वृंदावन बाईपास परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई है। इसका भी डीपीआर बनाने का कार्य प्रगति पर है। योजना की अनुमानित लागत करीब 6100 करोड़ रुपये है।
मान्यता है कि ब्रज भूमि पर परिक्रमा लगाने से हर एक कदम पर जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। सनातनी शास्त्रों में कहा गया है कि इस परिक्रमा के करने वालों को हर कदम पर अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। साथ ही जो इस परिक्रमा को लगाता है, उस व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके महात्म्य का वर्णन वेदों एवं पुराणों में भी देखने को मिलता है।