
रविवार सुबह गऊघाट छानी ग्राम पंचायत के परसदवा डेरा में 23 वर्षीय रेशमा के प्रसव पीड़ा से तड़पते हुए दर्द ने सभी को झकझोर कर रख दिया। गांव तक एंबुलेंस न पहुंच पाने के कारण रेशमा के वृद्ध ससुर कृष्ण कुमार केवट ने उसे बैलगाड़ी पर लिटाकर तीन किलोमीटर की दलदल से भरी सड़क पर यात्रा की। रास्ते में कई बार बैलगाड़ी फंसी, जिससे रेशमा का दर्द और बढ़ गया। अंत में भटुरी गांव तक पहुंचने के बाद एंबुलेंस से उसे अस्पताल भेजा गया।
प्रसव पीड़ा और रास्ते की मुश्किलें
कृष्ण कुमार ने बताया कि सुबह जब रेशमा को प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तो एंबुलेंस को कॉल किया गया, लेकिन चालक ने खराब रास्ते का हवाला देते हुए आने से मना कर दिया। इसके बाद मजबूरी में पुरानी बैलगाड़ी का सहारा लिया गया। कीचड़, झाड़ियों और कंटीले रास्तों से होते हुए रेशमा को तीन किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा। इस दर्दनाक यात्रा के बाद ही एंबुलेंस ने उसे अस्पताल पहुंचाया।
डॉक्टरों ने बताया कि रेशमा की हालत स्थिर है और प्रसव में दो दिन का समय लगेगा। हालांकि, यह घटना परसदवा डेरा के ग्रामीणों के लिए एक चेतावनी बन गई है, जो हर दिन जंगली जानवरों, दलदल और इलाज में देरी के खतरे से जूझते हैं।
पक्की सड़क की लगातार मांग
गांव के निवासी राजेंद्र कुमार ने बताया कि परसदवा डेरा की तीन किलोमीटर लंबी सड़क अब तक पक्की नहीं हो सकी है। बरसात में यह रास्ता पूरी तरह दलदल में तब्दील हो जाता है, जिससे गांव में कोई भी वाहन नहीं आ पाता। उन्होंने बताया कि कई बार पंचायत और ब्लॉक अधिकारियों से इस सड़क के निर्माण की मांग की गई, लेकिन केवल आश्वासन ही मिलता रहा।
यह कोई पहली बार नहीं है। 12 मार्च 2024 को युवा समाजसेवी अरुण (राजेंद्र कुमार निषाद) ने सड़क की मांग को लेकर छह दिन तक अनिश्चितकालीन धरना दिया था। उस समय उपजिलाधिकारी ने आश्वासन दिया था कि लोकसभा चुनाव के बाद सड़क बना दी जाएगी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।









