उत्तराखंड के मदरसों में संस्कृत पढ़ाने पर मौलाना शहाबुद्दीन ने जताया ऐतराज, कहा- “श्लोक और मंत्र पढ़ाया जाना आपत्तिजनक”

मदरसों में संस्कृत को पढ़ाए जाने की जानकारी उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने दी है।

उत्तराखंड के मदरसों में अब संस्कृत भाषा पढ़ाई जाएगी। इसके लिए कार्य योजना बनाई जा रही है। शुरूआती दौर में राज्य के 400 मदरसों में संस्कृत को शामिल किया जाएगा। मदरसों में संस्कृत वैकल्पिक विषय के तौर पर रहेगी। वहीं संस्कृत को मदरसों में शामिल करने को लेकर मुस्लिम जमात मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी का बड़ा बयान सामने आया है।

मौलाना शहाबुद्दीन ने कही बड़ी बात

उत्तराखंड के मदरसो में संस्कृत विषय को वैकल्पिक तौर पर शामिल करने की योजना को लेकर मुस्लिम जमात मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत ज्ञान है उसको पढ़ना चाहिए। पैगंबर ने इल्म को हासिल करन के लिए कहा है। ऐसे में ज्ञान किसी भी भाषा का हो हासिल करना चाहिए।

श्लोक पढ़ाए जाने को लेकर जताया ऐतराज

लेकिन श्लोक पढ़ाए जाने से मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार संस्कृत पाठशाला में कुरान पढ़ाना आपत्तिजनक है। उसी तरह मदरसों में श्लोक और मंत्र पढ़ाया जाना आपत्तिजनक है। इसकी वजह से टकराव और विवाद उत्पन्न होगा, क्योंकि हर धर्म के अलग-अलग धार्मिक मामले हैं। ऐसे में दोनों को अलग-अलग ही रखना चाहिए। इसलिए मदरसों में श्लोक पढ़ाए जाने के फैसले को वापस लेना होगा।

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड तैयार कर रहा प्रस्ताव

मदरसों में संस्कृत को पढ़ाए जाने की जानकारी उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने दी है। इस मामले को लेकर अध्यक्ष ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि संस्कृत पढ़ाने को लेकर काफी दिनों योजना बनाई जा रही है। इसके लिए एक प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है। ऐसे में प्रस्ताव तैयार होने के बाद राज्य सरकार को भेजा जाएगा और सरकार से मंजूरी मिलने के बाद लागू कर दिया जाएगा।

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