Mayawati on Akhilesh: मायावती का झलका दर्द… अखिलेश से गठबंधन टूटने को लेकर मायावती ने कर दिया बड़ा खुलासा

खैर जो भी हो अब ये देखना काफी दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव का कोई बयान आता हैं.. या नहीं.. इसके साथ ये भी कि मायावती..

Mayawati on Akhilesh: उत्तर प्रदेश की राजनीति हमेशा ही चर्चा में बनी रहती है..फिर चाहे यहां के मुखिया योगी की बात हो, बसपा प्रमुख मायावती की बात हो या यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश की बात हो.. लेकिन इसमें सबसे ज्यादा चर्चा माया और अखिलेश की होती हैं.. ऐसे में अब एक बार फिर मायावती के एक बयान ने यूपी की राजनीति में सियासी पारा को हाई कर दिया हैं. . दरअसल हम बात कर रहे हैं.. लोकसभा चुनाव 2019 की.. जब बीएसपी और सपा में गठबंधन हुआ था.. गठबंधन में बीएसपी और एसपी को 10 और 5 सीटें मिलीं. अब इसी बात की चर्चा एक बार फिर हो रही हैं.. इस बात के चर्चा में आने की वजह मायावती हैं.. दरअसल इसी बात का जिक्र करते हुए मायावती ने अपना दर्द बताया हैं..

मायावती ने आरोप लगाते हुए बताया हैं.. कि सीट कम मिलने की वजह से एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने न केवल उनके फोन कॉल्स का जवाब देना बंद कर दिए, बल्कि उनके साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के फोन कॉल्स भी उठाना बंद कर दिए। मायावती ने यह खुलासा एक बुकलेट में किया है, जिसे उपचुनाव और आगामी चुनावों में पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बीच वितरित किया जा रहा है। इसके साथ ही इस बुकलेट में मायावती ने एसपी के साथ गठबंधन की शुरुआत और टूटने की वजह को भी विस्तार से बताया है।

मायावती ने गठबंधन टूटने की बताई वजह

बता दें कि बीएसपी ने हाल ही में एक 59 पेज की एक बुकलेट प्रकाशित की है, जिसे पार्टी कार्यकर्ताओं में वितरित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ता भी हाईकमान की नीतियों और रुख से अवगत हो सकें। इससे वे आम लोगों और वोटरों को जागरूक कर सकेंगे। विशेष रूप से, इसका फोकस दलित और पिछड़े वर्ग के वोटरों को यह समझाने पर है कि अन्य पार्टियां केवल वोट पाने के लिए उन्हें धोखा देती रही हैं। बीएसपी ही एकमात्र पार्टी है जो वास्तव में उनकी सच्ची हितैषी है। इसके साथ ही इस बुकलेट में मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ हुए दोनों गठबंधनों, उनके टूटने की वजह, और गेस्ट हाउस कांड की याद भी दिलाई है।

गेस्ट हाउस कांड पर झलका माया का दर्द

वही मायावती ने इसमें मुलायम सिंह यादव का भी जिक्र किया हैं… दरअसल 1993 के गठबंधन का हवाला देते हुए मायावती ने लिखा है कि उस समय समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने कांशीराम से गठबंधन करते हुए कहा था कि कांग्रेस और बीजेपी जैसी जातिवादी पार्टियां नहीं चाहतीं कि दलित और पिछड़ा वर्ग मिलकर एक बड़ी राजनीतिक ताकत बन सकें। शुरुआत से ही यह कहा जा रहा था कि मुलायम की दलित और पिछड़ा वर्ग के प्रति नकारात्मक सोच और आपराधिक गतिविधियों के कारण यह गठबंधन लंबे समय तक नहीं चल सकेगा। मायावती ने लिखा है यही हुआ भी एसपी ने दलितों, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं का शोषण किया, जिसके कारण बीएसपी को मजबूरी में अपना समर्थन वापस लेना पड़ा। इसके बाद, एसपी के मुखिया ने कुख्यात गेस्ट हाउस कांड का आयोजन करवा कर उनकी हत्या की पूरी कोशिश की।

आरक्षण को समाप्त करने की बड़ी साजिश

इसके अलावा बुकलेट में यह भी साफ किया गया है कि बीएसपी ने 2019 में एसपी के साथ दोबारा गठबंधन क्यों किया। मायावती ने लिखा है कि यूपी में बीजेपी को रोकने के लिए अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी की पिछली गलतियों को नजरअंदाज करते हुए गठबंधन का एक और अवसर देने की पेशकश की थी। मायावती ने बुकलेट में उल्लेख किया है कि हाल ही के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके पीडीए के लोगों को गुमराह कर कुछ सफलता तो प्राप्त की गई, लेकिन इससे पीडीए के लोगों को वास्तविक लाभ नहीं होने वाला है। ऐसे में एसपी से सावधान रहना महत्वपूर्ण है। उन्होंने बुकलेट में एसपी द्वारा प्रमोशन में आरक्षण के बिल को फाड़ने और साथ ही कांग्रेस की मिलीभगत का भी उल्लेख किया है। इसके अलावा, बुकलेट में कांग्रेस और बीजेपी द्वारा लगातार आरक्षण को खत्म करने की कोशिशों पर भी विस्तार से चर्चा की गई है। साथ ही आरक्षण को समाप्त करने की निरंतर चल रही साजिशों की भी बात की गई है।

खैर जो भी हो अब ये देखना काफी दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव का कोई बयान आता हैं.. या नहीं.. इसके साथ ही ये भी कि मायावती के इस बात में आखिर कितनी सत्यता हैं,… क्योंकि ये राजनीति हैं यहां आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता ही रहता हैं..

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