
अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव का बिगुल बज चुका है, और इसके साथ ही राजनीतिक हलकों में सरगर्मी तेज हो गई है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है, और इस पर कब्जा जमाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने पूरी ताकत झोंक दी है। जहां सपा ने फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतार दिया है, वहीं भाजपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि, कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा उपपरिवहन आयुक्त सुरेंद्र कुमार रावत को अपना उम्मीदवार बना सकती है।
सपा ने बनाया मजबूत उम्मीदवार
समाजवादी पार्टी ने इस सीट को जीतने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। सपा ने अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है, जो जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने में सक्षम माने जा रहे हैं। पार्टी को विश्वास है कि उनके उम्मीदवार क्षेत्रीय मतदाताओं को आकर्षित करने में सफल होंगे। सपा का यह दांव भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि यह सीट न केवल अयोध्या जिले की राजनीति में बल्कि राज्यस्तरीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
भाजपा के संभावित उम्मीदवार: सुरेंद्र रावत और बाबा गोरखनाथ
भाजपा के संभावित उम्मीदवारों की सूची में दो नाम प्रमुखता से उभर रहे हैं। पहला नाम उपपरिवहन आयुक्त सुरेंद्र कुमार रावत का है, जिन्होंने हाल ही में वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) के लिए आवेदन दिया है। दूसरा नाम बाबा गोरखनाथ का है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं। हालांकि, सुरेंद्र रावत का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है।
सुरेंद्र रावत का वीआरएस और राजनीतिक समीकरण
सुरेंद्र कुमार रावत ने रिटायरमेंट से ढाई महीने पहले वीआरएस के लिए आवेदन किया है। उन्होंने अपने पत्र में पारिवारिक कारणों का हवाला दिया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि उन्होंने यह कदम चुनावी रणनीति के तहत उठाया है। सुरेंद्र कुमार रावत मिल्कीपुर सीट पर जातिगत समीकरण के आधार पर भाजपा के लिए एक मजबूत चेहरा साबित हो सकते हैं।
मिल्कीपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, और इस सीट पर दलित मतदाताओं का प्रभाव निर्णायक है। सुरेंद्र रावत दलित समुदाय से आते हैं और क्षेत्र में उनकी साफ-सुथरी छवि है। भाजपा को उम्मीद है कि उनके माध्यम से पार्टी न केवल दलित वोटों को साध सकेगी, बल्कि ब्राह्मण और ओबीसी मतदाताओं का भी समर्थन हासिल कर पाएगी।
बाबा गोरखनाथ: योगी के करीबी
दूसरा नाम बाबा गोरखनाथ का है, जो योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं। हालांकि, उनकी उम्मीदवारी को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा बाबा गोरखनाथ के नाम पर दांव लगा सकती है, लेकिन सुरेंद्र रावत के जातिगत और प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए उनकी दावेदारी ज्यादा मजबूत नजर आती है।
चन्द्रभानु पासवान का नाम भी प्रबल दावेदारी के रूप में
टिकट के प्रबल दावेदारी के रूप में भाजपा नेता चन्द्रभानु पासवान का नाम चर्चा में है। चन्द्रभानु पासवान की पकड़ क्षेत्र में बहुत मजबूती मानी जाती है। समाज सेवा के रूप में उनके परिवार की पूरे जिले में एक अलग ही छवि है। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने दावेदारी ठोकी थी लेकिन पार्टी ने पूर्व विधायक बाबा गोरखपुर पर भरोसा जताया था। इसके साथ ही पूर्व ब्लाक प्रमुख विनय कुमार रावत, संगठन से अनुसूचित जाति मोर्चा के कोषाध्यक्ष चंद्रकेश रावत, पूर्व विधायक रामू प्रियदर्शी व लगभग 1 दर्जन से अधिक नाम भी चर्चा में है।
भाजपा की रणनीति और प्रचार अभियान
भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए व्यापक प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री के अलावा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और अन्य वरिष्ठ नेता भी प्रचार में जुटे हुए हैं। भाजपा का फोकस विकास कार्यों और केंद्र सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने पर है। पार्टी को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का फायदा मिलेगा।
जातिगत समीकरण का महत्व
मिल्कीपुर सीट पर जातिगत समीकरण बेहद महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है, जबकि ब्राह्मण, ओबीसी और मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। भाजपा की कोशिश है कि सुरेंद्र रावत जैसे उम्मीदवार को आगे करके वह दलित वोट बैंक को मजबूत कर सके। वहीं, सपा ने अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाकर यादव और मुस्लिम वोट बैंक पर पकड़ बनाने की रणनीति अपनाई है।
सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला
मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। सपा को जहां दलित और यादव-मुस्लिम गठजोड़ पर भरोसा है, वहीं भाजपा विकास और सुशासन के मुद्दों पर वोट मांग रही है। भाजपा का यह भी दावा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं से लाभान्वित हुए मतदाता पार्टी के साथ खड़े रहेंगे।
बता दें कि मिल्कीपुर उपचुनाव अयोध्या जिले की राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ने वाला है। भाजपा और सपा दोनों ने अपनी-अपनी रणनीतियों के तहत उम्मीदवारों का चयन किया है। सुरेंद्र कुमार रावत की संभावित उम्मीदवारी ने उपचुनाव को और रोचक बना दिया है। अब देखना यह है कि भाजपा किसे अपना प्रत्याशी बनाती है और चुनावी मैदान में किसकी रणनीति कामयाब होती है। चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं का मूड और जातिगत समीकरण अंतिम परिणाम को प्रभावित करेंगे। मिल्कीपुर की जनता किसे अपना नेता चुनती है, यह जानने के लिए 2025 का यह उपचुनाव सभी की निगाहों में है।









