
“बचाया हुआ पैसा कमाया हुआ पैसा है”—यह विचार भारत सरकार के आर्थिक सुधारों में प्रमुख स्थान रखता है। दशकों से, भारत में चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त बांटे जाने वाले उपहारों को देखा गया है, लेकिन इन अस्थिर उपहारों से सरकार पर भारी बोझ पड़ा है और दीर्घकालिक विकास में रुकावटें आई हैं। इसके बजाय, सरकार ने एक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाया है, जो न केवल मध्यवर्ग और छोटे व्यापारों को लाभ पहुंचाता है, बल्कि दीर्घकालिक आधार पर भी स्थिरता पैदा करता है।
लंबी टोल कतारों से छुटकारा
क्या आपको टोल बूथों पर लंबी कतारों में खड़े होने का अनुभव याद है? 2017 से पहले, भारतीय टोल प्लाजा पर औसतन 714 सेकंड का समय बर्बाद होता था। ईंधन की बर्बादी, वाहन की मरम्मत, और उत्पादक समय की हानि, दोनों व्यक्तियों और व्यापारों के लिए एक भारी समस्या बन गई थी। इसका समाधान क्या था? सरकार ने FASTag की शुरुआत की, जो RFID तकनीक का उपयोग करता है और अब, 2024 में औसत टोल भुगतान समय मात्र 47 सेकंड हो गया है।
आर्थिक प्रभाव
- 5 बिलियन टोल ट्रांजेक्शंस का अनुमानित आंकड़ा FY 25-26 में।
- प्रत्येक वाहन पर 667 सेकंड का समय बचत।
- 92.63 करोड़ घंटे की वार्षिक बचत।
- कुल बचत: ₹7,337 करोड़ (ईंधन बचत, वाहन रखरखाव और कीमती समय)
डिजिटल पेमेंट क्रांति: UPI और RuPay
विकसित देशों की तरह भारत में भी POS मशीनों और महंगे MDR शुल्कों पर निर्भरता थी। लेकिन भारत के लिए यह समाधान उपयुक्त नहीं था। फिर आई UPI और RuPay कार्ड्स की क्रांति। 2016 में UPI के लॉन्च से पहले भारत में महज 25 लाख POS मशीनें थीं, लेकिन 2023 तक भारत में 25 करोड़ QR कोड्स उपलब्ध हो गए हैं, जिससे डिजिटल पेमेंट्स अब हर किसी के लिए सुलभ हो गए हैं।
UPI के वित्तीय प्रभाव
- 2024 में कुल UPI ट्रांजैक्शन मूल्य: ₹275 लाख करोड़
- वार्षिक MDR शुल्क बचत: ₹82,500 करोड़, जो अब छोटे व्यापारियों के पास बचता है।
MSMEs के लिए क्रेडिट पहुंच में सुधार
भारत के छोटे व्यवसायों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रही है सस्ती और संरचित क्रेडिट की कमी। सरकार ने MUDRA, CGTMSE, और डिजिटल क्रेडिट स्कोरिंग जैसी पहलें की हैं, जिससे छोटे व्यवसायों को सस्ती दरों पर कर्ज मिल पाता है। अब, मोदी सरकार MSME को 100 करोड़ तक बिना किसी संपत्ति की गारंटी के कर्ज दे रही है, जिससे 10 वर्षों में MSME के लिए ₹5.57 लाख करोड़ की कर्ज गारंटी प्रदान की जा चुकी है।
आर्थिक प्रभाव
- 10 वर्षों में MSME को ₹5.57 लाख करोड़ की गारंटी दी गई।
- 2% ब्याज बचत का अनुमान: छोटे व्यापारों के लिए ₹82,500 करोड़ की बचत।
निष्कर्ष: दीर्घकालिक लाभ के मुकाबले तात्कालिक उपहार
भारत सरकार के ये सुधार उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जहां पर लोगों को अस्थायी राहत देने के बजाय, उन्हें स्थिर और दीर्घकालिक बचत की दिशा में सशक्त किया जा रहा है। चाहे वह टोल कंजेशन में कमी हो, विदेशी लेन-देन शुल्क की समाप्ति हो, या छोटे व्यापारों को किफायती और संरचित कर्ज की पहुंच हो, ये सुधार सुनिश्चित करते हैं कि हर बचाया गया रुपया एक कमाया हुआ रुपया है।
अब सवाल यह उठता है—क्या हमें तात्कालिक राहत चाहिए, या हमें स्थिर और दीर्घकालिक बचत को अपनाना चाहिए?