
नई दिल्ली: डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन गेमिंग ने हाल के वर्षों में न केवल मनोरंजन का रूप लिया है, बल्कि एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक समस्या भी बन गया है। लाखों युवा इसके जाल में फंस चुके हैं, परिवार वित्तीय दबाव में हैं और कई गेमिंग प्लेटफॉर्म धोखाधड़ी और आतंकवाद के लिए उपयोग हो रहे हैं।
सिर्फ 2025-26 के अप्रैल से जुलाई तक डिजिटल गेम्स के लिए UPI भुगतान लगभग 40,992 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। भारत का ऑनलाइन गेमिंग मार्केट वर्तमान में 33,000 करोड़ रुपये का है और 2028 तक यह 66,000 करोड़ रुपये तक बढ़ने का अनुमान है।
इन चुनौतियों को देखते हुए, मोदी सरकार ने Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025 संसद में पेश किया। इस बिल के मुख्य उद्देश्य हैं:
- राष्ट्रीय ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण की स्थापना, जो ई-स्पोर्ट्स, सोशल गेमिंग और मनी-बेस्ड गेम्स को नियंत्रित करेगा।
- ऑनलाइन मनी गेम्स पर प्रतिबंध, जबकि सुरक्षित डिजिटल मनोरंजन को बढ़ावा।
- उपभोक्ता सुरक्षा, गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा की गारंटी।
- विदेशी या राज्य-विशिष्ट नियमों से बचने वाले प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण।
यह बिल मोदी सरकार के लगातार मानव-केंद्रित सुधारों का हिस्सा है, जैसे ट्रिपल तलाक कानून और डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम। ऑनलाइन गेमिंग बिल न केवल जोखिम और लत को कम करेगा, बल्कि इसे सुरक्षित और जवाबदेही वाले क्षेत्र में बदल देगा।









