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मोदी की दूरदृष्टि: रक्षा, अंतरिक्ष और तकनीक के क्षेत्र में भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने की ओर बढ़ता कदम

भारत ने सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए वैश्विक दिग्गजों को आमंत्रित करते हुए इस क्षेत्र में भी बड़ी छलांग लगाई है। इससे भारत वैश्विक चिप निर्माण की दौड़ में अहम खिलाड़ी बनता जा रहा है।

नई दिल्ली: बीते एक दशक में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी नीतियों और आत्मनिर्भर भारत व मेक इन इंडिया जैसे अभियानों की बदौलत भारत अब सिर्फ एक विकासशील देश नहीं, बल्कि रक्षा, अंतरिक्ष और तकनीकी क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की दौड़ में शामिल हो चुका है।

आत्मनिर्भरता और नवाचार का बल
मोदी सरकार ने आत्मनिर्भरता, स्वदेशी अनुसंधान और निजी-सार्वजनिक साझेदारी को बढ़ावा देते हुए भारत को न केवल वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उतारा, बल्कि कई क्षेत्रों में नेतृत्वकर्ता बना दिया। अब भारत सिर्फ एक भागीदार नहीं, बल्कि दिशा दिखाने वाला बन चुका है।

रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियां: भारत बना वैश्विक ताकत

  1. लेज़र आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन
    भारत ने हाल ही में लेज़र आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन सिस्टम का सफल परीक्षण किया है, जो दुश्मन के ड्रोन और फिक्स्ड विंग विमानों को निष्क्रिय करने में सक्षम है। इस तकनीक के साथ भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल हो गया है।
  2. हाइपरसोनिक मिसाइल और स्क्रैमजेट तकनीक
    2025 में भारत एक्टिव कूल्ड स्क्रैमजेट हाइपरसोनिक इंजन का परीक्षण करेगा। स्वदेशी एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट फ्यूल का विकास DRDL और भारतीय उद्योगों द्वारा किया गया है।
  3. पहली लॉन्ग रेंज हाइपरसोनिक मिसाइल
    2024 में DRDO ने देश की पहली लंबी दूरी तक मार करने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया जो पारंपरिक और परमाणु हथियारों से लैस है। यह मिसाइल ध्वनि की गति से पांच गुना तेज़ चलती है।
  4. MIRV तकनीक से लैस अग्नि-V
    2024 में भारत ने MIRV (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle) तकनीक से लैस अग्नि-V का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल एक ही समय में कई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
  5. समुद्र आधारित बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD)
    2023 में भारत ने समुद्र आधारित एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जिससे देश नौसैनिक BMD तकनीक से लैस चुनिंदा देशों में शामिल हो गया।
  6. स्टील्थ अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV)
    2023 में भारत ने स्वदेशी स्टील्थ UAV का सफल परीक्षण किया, जो स्वचालित उड़ान में सक्षम है और भारतीय रक्षा क्षेत्र की तकनीकी परिपक्वता का प्रमाण है।
  7. मिशन शक्ति (2019)
    भारत ने एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराते हुए ASAT (Anti-Satellite) क्षमता का प्रदर्शन किया और अमेरिका, रूस, और चीन के साथ इस विशेष क्लब में शामिल हुआ।

अंतरिक्ष क्षेत्र में नई ऊंचाइयां: ISRO की ऐतिहासिक उड़ान

  1. SpaDEx मिशन से सैटेलाइट डॉकिंग तकनीक
    भारत हाल ही में उन चार देशों में शामिल हो गया जिन्होंने सैटेलाइट डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक में सफलता पाई है। ISRO ने SpaDEx मिशन में 120 से अधिक सिमुलेशन के बाद पहले प्रयास में ही यह कर दिखाया।
  2. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत का परचम
    2023 में भारत दुनिया का पहला देश बना जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। इससे भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर लैंड करने वाला चौथा देश बन गया।
  3. क्रायोजेनिक इंजन निर्माण में आत्मनिर्भरता
    2022 में भारत छठा ऐसा देश बना जिसने क्रायोजेनिक इंजन की निर्माण क्षमता हासिल की। इसके लिए ICMF (Integrated Cryogenic Engine Manufacturing Facility) की शुरुआत की गई।
  4. एक मिशन में 104 सैटेलाइट लॉन्च का विश्व रिकॉर्ड
    2017 में ISRO ने PSLV-C37 मिशन में एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च कर नया वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया, जिससे भारत को वैश्विक स्पेस कम्युनिटी में विशेष स्थान मिला।

तकनीक के क्षेत्र में भारत की तेज़ रफ्तार

  • सेमिकॉन इंडिया मिशन
    भारत ने सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए वैश्विक दिग्गजों को आमंत्रित करते हुए इस क्षेत्र में भी बड़ी छलांग लगाई है। इससे भारत वैश्विक चिप निर्माण की दौड़ में अहम खिलाड़ी बनता जा रहा है।
  • नेशनल मिशन फॉर क्वांटम टेक्नोलॉजी एंड एप्लिकेशन (NMQTA)
    2020 में लॉन्च हुए इस मिशन के तहत सरकार ने 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। इसका उद्देश्य है क्वांटम कंप्यूटिंग में अमेरिका और चीन जैसी महाशक्तियों के साथ प्रतिस्पर्धा करना।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता और राष्ट्र प्रथम की नीति ने भारत को रक्षा, अंतरिक्ष और तकनीक के क्षेत्र में उस मुकाम तक पहुंचा दिया है जहां अब देश न केवल प्रतिस्पर्धा कर रहा है, बल्कि नेतृत्व भी कर रहा है। भारत का यह सफर अब केवल विकास की नहीं, बल्कि “विश्वगुरु” बनने की ओर स्पष्ट रूप से अग्रसर है।

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