एमएसएमई बना भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़, सरकारी योजनाओं से बदली कर्ज व्यवस्था

डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल से यह स्थिति बदलने लगी है। बैंकों की प्रक्रियाओं में तकनीकी समावेशन और सरकारी योजनाओं ने इस दिशा में बड़ी भूमिका निभाई है।

अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहे एमएसएमई

भारत की अर्थव्यवस्था में माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। 2022-23 में GVA में 30.1% योगदान और 2024-25 में कुल निर्यात में 45.79% की हिस्सेदारी के साथ, ये इकाइयाँ देश की आर्थिक तरक्की का मजबूत आधार बन चुकी हैं।

कर्ज की पहुंच में आई क्रांतिकारी बदलाव

आज़ादी के बाद से MSMEs के लिए औपचारिक वित्तीय प्रणाली से कर्ज प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में India Stack और डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल से यह स्थिति बदलने लगी है। बैंकों की प्रक्रियाओं में तकनीकी समावेशन और सरकारी योजनाओं ने इस दिशा में बड़ी भूमिका निभाई है।

पीएम मुद्रा योजना बनी गेमचेंजर

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के माध्यम से सरकार ने छोटे व्यापारियों और उद्यमियों को बिना गारंटी के कर्ज देकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य किया है। यह योजना लाखों एमएसएमई को औपचारिक क्रेडिट नेटवर्क में लाने में मददगार साबित हुई है, जिससे न केवल रोजगार सृजन हुआ है, बल्कि स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को भी गति मिली है।

डिजिटल युग में MSME की नई उड़ान

UPI, डिजिटल KYC, जीएसटी डेटा, और ऑनलाइन लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स जैसे डिजिटल टूल्स के माध्यम से एमएसएमई को अब तेजी से और सरलता से फाइनेंस मिल पा रहा है। यह डिजिटल बदलाव MSME सेक्टर को आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार बना रहा है।

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