Mulayam Singh Yadav Death Anniversary: कभी पहलवान तो कभी टीचर, नेता जी से जुड़े कुछ अनोखे व अनसुने किस्से..

नेता जी ने 60 के दशक में ही राममनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह से राजनीति के दांवपेंच सीख लिए थे। खुद लोहिया उन्हें राजनीति में...

Mulayam Singh Yadav Death Anniversary: 22 नवंबर 1939 को सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव का नाम उन दिग्गजों में गिना जाता है, जिन्होंने यूपी की सियासत में खूब नाम कमाया। देश की सबसे बड़ी राजधानी उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे नेताजी को उनके चाहने वाले उन्हें धरती पुत्र, बाबूजी जैसे कई नामों से बुलाते थे। एक ऐसा शख्श जिसने देश के असाधारण राजनेता के रूप में एक अलग पहचान बनाई। पहलवानी से राजनीति में आए मुलायम अपने दौर की राजनीति के मजबूत ‘पहलवान’ रहे. आज यानी 10 अक्टूबर 2024 (गुरुवार) को उनकी दूसरी पुण्यतिथि है। तो चलिए हैं जानते हैं उनके अनोखे और अनसुने किस्सों के बारे में….

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कभी करहल में थें टीचर

इटावा के एक छोटे से गांव सैफई के गरीब परिवार में जन्में मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में की। आपको बता दें, मुलायम अपने शुरुवाती दिनों में कुछ समय तक मैनपुरी के करहल में जैन इंटर कॉलेज में अध्यापक भी रह चुके हैं। अपने पांच भाई-बहनों में वो दूसरे नंबर पर थे।

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15 साल की उम्र में गए थें जेल

बात वर्ष 1947 की है, जब देश आजाद हुआ था। उस वक़्त पंडित जवाहर लाल नेहरू एक करिश्माई नेता हुआ करते थे, मगर एक वक़्त आया जब देश में उनके खिलाफ समाजवाद के स्वर मुखर होने लगे। उस समय डॉ. राम मनोहर लोहिया इसके पुरोधा हुआ करते थे। उन्होंने ही 1950 के आसपास समाजवादी आंदोलनों की शुरुआत की थी। जिसका हिस्सा मुलायम सिंह यादव भी बनें थे। छोटी सी उम्र में ही वे कांग्रेस विरोधी आंदोलन में कूद पड़े थे। 24 फरवरी 1954, जब लोहिया के नहर रेट आंदोलन के चलते यूपी में भी खूब हंगामा बरपा। उस समय इस आंदोलन को दबाने के लिए तत्कालीन सरकार ने लोहिया और उनके समर्थकों को जेल में डाल दिया।

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मुलायम सिंह यादव जब गए जेल

राम मनोहर लोहिया के 24 फरवरी 1954 को नहर रेट आंदोलन की वजह से यूपी में भी खूब हंगामा हुआ. तत्कालीन सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए लोहिया और उनके समर्थकों को जेल में डाल दिया। उसके बाद पूरे प्रदेश में प्रदर्शन और जुलुस का दौर शुरू हो गया। उसी समय एक आंदोलन इटावा जिले में भी हो रहा था। प्रशासन ने उस जुलूस में शामिल करीब दो हजार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। मुलायम भी जेल जाने वालों में शामिल थे। बताया जाता है उस वक्त उनकी उम्र महज 15 साल की थी।

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तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री तो एक बार देश के रक्षामंत्री भी बने

नेता जी ने 60 के दशक में ही राममनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह से राजनीति के दांवपेंच सीख लिए थे। खुद लोहिया उन्हें राजनीति में लेकर आए। उन्हें 1967 में लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने टिकट दिया और पहली बार मुलायम चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। उसके बाद वह लगातार प्रदेश के चुनावों में जीतते रहे। वो 1996 वाली देवगौड़ा सरकार में रक्षा मंत्री बने। इसके साथ ही वो 1989 में पहली बार, 1993 में दूसरी और वर्ष 2003 में तीसरी बार यूपी के सीएम की कमान संभाली।

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