
भारतीय रक्षा मंत्रालय स्पेशल फोर्सेज की क्षमताओं को आधुनिक तकनीकों से सशक्त बना रहा है। Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, सेना, वायुसेना और नौसेना के विशेष बलों को नैनो ड्रोन, लॉइटर म्यूनिशन और उन्नत संचार प्रणाली से लैस किया जा रहा है। इसके अलावा, इन कमांडोज़ के लिए कड़े युद्ध प्रशिक्षण को और अधिक प्रभावी बनाने की योजना बनाई गई है।
स्पेशल फोर्सेज को नई तकनीकों से लैस किया जा रहा
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय विशेष बलों को जल्द ही ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR) मिशन प्लानर्स और सिमुलेटर से लैस किया जाएगा। इसके अलावा, इन्हें विशेष उपकरण दिए जाएंगे जो ऑपरेशनों को और प्रभावी बनाएंगे। वर्तमान में, भारतीय सेना में 10 पैरा-एसएफ और 5 पैरा (एयरबोर्न) बटालियन हैं, जबकि वायुसेना में 27 फ्लाइट्स में 1,600 गरुड़ कमांडो और नौसेना में 1,400 से अधिक मार्कोस कमांडो हैं।
स्पेशल ऑपरेशंस कमांड की कमी एक बड़ी चुनौती
हालांकि, भारत में अभी तक एक पूर्ण विकसित स्पेशल ऑपरेशंस कमांड (SOC) नहीं है। Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, Armed Forces Special Operations Division (AFSOD) का गठन किया गया है, लेकिन यह पूरी तरह से संयुक्त अभियानों और तालमेल को सुनिश्चित करने में सक्षम नहीं है।
उन्नत संचार प्रणाली से मिलेगी ऑपरेशनल बढ़त
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो (SDR), सैटेलाइट संचार प्रणाली और मैनपैक रेडियो जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल किया गया है। इससे तीनों सेनाओं के स्पेशल फोर्सेज के बीच बिना बाधा के लंबी दूरी तक संचार संभव होगा।
सटीक टारगेटिंग और सर्विलांस में सुधार
लॉइटर म्यूनिशन सिस्टम के उपयोग से पैरा-एसएफ यूनिट्स की सटीक-हमले की क्षमता बढ़ गई है। इसी तरह, रिमोटली-पायलटेड एरियल व्हीकल्स (RPAV), नैनो ड्रोन, सर्विलांस कॉप्टर और FLIR (फॉरवर्ड-लुकिंग इंफ्रा-रेड) पेलोड्स वाले हल्के ड्रोन को भी शामिल किया गया है, जिससे 10 किमी तक शॉर्ट और मीडियम-रेंज सर्विलांस संभव हो गया है।
स्टील्थ ऑपरेशन के लिए नए उपकरण
शत्रु क्षेत्र में चुपके से घुसने (Stealth Operations) की रणनीति के तहत, आधुनिक फ्री-फॉल पैराशूट सिस्टम और अन्य उपकरण शामिल किए गए हैं। साथ ही, नए “इंटीग्रेटेड कॉम्बैट डाइविंग किट” की खरीद भी जारी है। इसके अलावा, गाइडेड एरियल डिलीवरी सिस्टम भी उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे कमांडो लंबे समय तक दुश्मन के इलाके में स्वतंत्र रूप से ऑपरेट कर सकें।
विशेष हथियारों से लैस किए जा रहे कमांडो
भारतीय विशेष बलों के पास पहले से ही उन्नत हथियार हैं, जिनमें शामिल हैं:
फिनलैंड का Sako लॉन्ग-रेंज स्नाइपर राइफल
अमेरिकी M4A1 कार्बाइन
इजरायली TAR-21 टैवोर असॉल्ट राइफल
स्वीडिश Carl Gustaf हल्का रॉकेट लॉन्चर
रूसी VSS सप्रेस्ड स्नाइपर राइफल
इतालवी Beretta साइलेंसर-पिस्टल
पहला वर्टिकल विंड टनल पूरी तरह ऑपरेशनल
भारतीय सेना का पहला वर्टिकल विंड टनल अब पूरी तरह से चालू हो गया है। यह हिमाचल प्रदेश के बकलोह में स्थित स्पेशल फोर्सेज ट्रेनिंग स्कूल में स्थापित किया गया है, जिससे विशेष बलों के कमांडोज़ को बेहतर “कॉम्बैट फ्री-फॉल” प्रशिक्षण मिल सकेगा।