नई दिल्ली. कोरोना से जारी जंग में भारत को बड़ी कामयाबी मिली है। भारत की पहली नेजल वैक्सीन (नाक से दी जाने वाली वैक्सीन) का क्लिनिकल ट्रायल पूरा हुआ। कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कोरोना की नेजल वैक्सीन का ट्रायल पूरा किया। भारत बायोटेक की नेज़ल वैक्सीन का वैज्ञानिक नाम BBV154 है।
भारत बायोटेक ने कोरोना की BBV-154 इंट्रानैसल वैक्सीन का तीसरा क्लीनिकल ट्रायल पूरा किया। जल वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर दिया जा सकेगा। बता दें, बूस्टर डोज के लिए देशभऱ में 9 जगहों पर परीक्षण किया गया था। भारत में नेजल वैक्सीन पर दो तरह के ट्रायल चल रहे थे। पहला ट्रायल कोरोना की दो डोज वाली प्राइमरी वैक्सीन को लेकर चल रहा था, दूसरा ट्रायल कोवीशील्ड और कोवैक्सीन लगाने वाले दोनों तरह के लोगों के लिए बूस्टर डोज के तौर पर हो रहा था।
नेज़ल वैक्सीन के दोनों के ही तीसरे चरण के ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल पूरा हुआ। नेज़ल वैक्सीन के ट्रायल का डाटा ड्रग कंट्रोलर को जमा किया गया है, ड्रग कंट्रोलर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी इस डाटा का रिव्यू करेगी। कोरोना की दो डोज वाली नेजल वैक्सीन के ट्रायल 3100 लोगों पर किया गया। भारत में 14 जगहों इस वैक्सीन का ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल किया गया।
हेटेरोलोगस बूस्टर डोज के ट्रायल 875 लोगों पर हुए और भारत की 9 जगहों पर यह ट्रायल किया गया। दोनों स्टडी में प्रतिभागियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। हेटेरोलोगसट्रायल बूस्टर डोज यानी ऐसी वैक्सीन जो कोवैक्सीन और कोवीशील्ड लगवा चुके लोग भी लगवा सकेंगे। वैक्सीन को भारत बायोटेक ने वॉशिंगटन की सेंट् लुईस यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाया।
नाक से दी जाने वाली पहली कोरोना वैक्सीन का विकसित होना किफायती कदम है। यह वैक्सीन भी 2 से 8 डिग्री के तापमान पर स्टोर की जा सकेगी। इसे बनाने का काम गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र के प्लांट्स में किया जाएगा. शुरुआती नतीजों के मुताबिक नाक से दी जाने वाली ये वैक्सीन रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी श्वास नली और फेफड़ों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज पैदा कर सकती है, जिससे इंफेक्शन घटता है और संक्रमण कम फैल पाता है।