
अयोध्या : श्रद्धालु महासभा संस्था के राष्ट्रीय संयोजक बृजकिशोर दूबे ने अयोध्या में अपने आधिकारिक वक्तव्य में कहा कि शंकराचार्य पद पर आसीन होने के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद निर्धारित प्रक्रिया और योग्यता को पूरा नहीं करते हैं। स्वयंभू शंकराचार्य बनने से सनातन धर्म का नुकसान कर रहे है.
बृजकिशोर दूबे ने कहा कि देश भर में फैले श्रद्धालुओं की संस्था श्रद्धालु महासभा ने ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य पद की मान्यता से इनकार किया है। महासभा ने कहा है कि अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य पद पर निर्धारित प्रक्रिया और योग्यता के अभाव के बावजूद आसीन हो गये हैं क्योंकि शंकराचार्य पद पर नियुक्ति की एक पूरी प्रक्रिया है। जिसके तहत सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के प्रमुखों, आचार्य, महामंडलेश्वर और संतों की सभा शंकराचार्य के नाम पर अपनी सहमति जताती है। जिसे काशी विद्वत परिषद से मान्यता मिलती है, तब जाकर वह शंकराचार्य पद पर आसीन होता है। लेकिन अविमुक्तेश्वरानंद इन निर्धारित प्रक्रियाओं से नहीं गुजरे हैं। उन्हें अखाड़ों के प्रमुखों ने न तो मान्यता दी है और न ही काशी विद्वत परिषद ने ही उनके नाम पर मुहर लगायी है। ऐसे में स्वयंभू शंकराचार्य बने अविमुक्तेश्वरानंद को तत्काल अपने पद को त्याग करना चाहिए। उक्त पद पर किसी योग्य और श्रेष्ठ संत को विराजित करना चाहिए, क्योंकि शंकराचार्य पद सनातन धर्म में सबसे बड़े गुरू का है। उसकी वाणी और विचारों में लोकहित निहित होती है। वह समाज का आध्यात्मिक मार्गदर्शक होता है.

वहीं उन्होंने आगे कहा की अविमुक्तेश्वरानंद इन मानकों पर खरे नहीं उतरते। कोर्ट में भी अविमुक्तेश्वरानंद के मामले में रोक व विवाद है। वह शंकराचार्य पद के नाम से समाज को भटकाने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे सनातन धर्म का नुकसान हो रहा है। इसलिए श्रद्धालु महासभा इन्हें शंकराचार्य की मान्यता से इनकार करती है। राम मंदिर के इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में अनर्गल प्रलाप करने वाले ऐसे समस्त तत्वों व इन जैसों को सदबुद्धि आए ऐसी कामना के साथ श्रद्धालु महासभा इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आए व आने वाले समस्त श्रद्धालुओं का स्वागत व अभिनन्दन करती है.

क्या है श्रद्धालु महासभा
देश एवं दुनिया भर में श्रद्धालु हितों को लेकर कार्यरत श्रद्धालुओं की सबसे बड़ी संस्था श्रद्धालु महासभा जो की देश/विदेश के समस्त मंदिरों को एक सूत्र में पिरोने वाली उनका नेटवर्किंग ग्रिड तैयार कर, श्रद्धालुओं के हितार्थ कार्यरत एक ऐसी संस्था जो मंदिरों, पूजा पद्धतियों, पर्यावरण संरक्षण के प्रशिक्षण, देवस्थान विषयक मानकीकरण एवं पूरी तरह से आम श्रद्धालुओं व आस्थावानों के मनोभावों के अनुरूप निश्चल भाव से कार्यरत है। 20 लाख से भी अधिक देवस्थानों के नेटवर्किंग ग्रिड के लिए 100 करोड़ से भी अधिक श्रद्धालुओं की ये दुनिया की एकमात्र संस्था है.









