प्रयागराज में यूपी लोक सेवा आयोग (UPPSC) के खिलाफ अभ्यर्थियों का धरना-प्रदर्शन लगातार जारी है, जो अब एक बड़ी सामाजिक और राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है। हज़ारों की संख्या में छात्र-छात्राएँ, जो यूपीपीएससी की परीक्षा में भाग लेने के लिए तैयारी कर रहे हैं, आयोग के बाहर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग की मौजूदा चयन प्रक्रिया और परीक्षा प्रणाली में गंभीर खामियाँ हैं, जिनके कारण उन्हें उचित अवसर नहीं मिल पा रहा है। यूपी लोक सेवा आयोग के बाहर हज़ारों स्टूडेंट्स रातभर धरने पर बैठे रहे।
यह प्रदर्शन रातभर जारी रहा, जिसमें छात्र अपने अधिकारों की रक्षा और प्रणाली में सुधार की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आयोग की नीतियाँ उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं और यदि स्थिति में बदलाव नहीं हुआ, तो उन्हें अपनी मेहनत और समय का उचित मूल्य नहीं मिलेगा।
इस बीच, यूपी लोक सेवा आयोग ने इन प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया है कि इस आंदोलन के पीछे कुछ अराजक तत्व और अवैध कोचिंग माफिया हैं, जो छात्रों को गुमराह कर रहे हैं और उन्हें भड़काने का काम कर रहे हैं। आयोग का कहना है कि ये तत्व छात्रों के मनोबल को तोड़ने और व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी मौजूदा परीक्षा प्रणाली और चयन प्रक्रिया पर अडिग है और किसी भी प्रकार के बदलाव के लिए तैयार नहीं है। आयोग के अधिकारियों का कहना है कि उनकी परीक्षा प्रणाली पारदर्शी और निष्पक्ष है, और वे इसे सुधारने या बदलने का कोई इरादा नहीं रखते।
यह आंदोलन अब एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है कि क्या सरकारी परीक्षाओं की चयन प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत है, और क्या आयोग को अभ्यर्थियों की मांगों पर विचार करना चाहिए। इस धरने-प्रदर्शन ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है और अब यह देखने वाली बात होगी कि क्या छात्रों के दबाव के चलते आयोग अपनी नीतियों में कोई बदलाव करता है या नहीं।