
रिपोर्टर :- असद खान
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की यमुना नदी के पुल की मरम्मत के आखिरी दिन रविवार की शाम बीमार बेटे को गोद में लादकर भागने वाला पिता उसे मौत के मुंह में जाने से न बचा पाया। दवा रियेक्शन की वजह से बिगड़ी मासूम की हालत कानपुर पहुंचने के बाद भी नहीं संभली और सोमवार की शाम हैलट में उसकी मौत हो गई। इससे परिवार में कोहराम मच गया। पूरे मोहल्ले ने मासूम की जान बचाने को लेकर आपस में चंदा करके रकम जमा की थी।
दो दिन पहले यमुना पुल की मरम्मत के आखिरी दिन था। दोपहर तक सामान्य तरीके से लोगों की पैदल आवाजाही होती रही। शाम हुई तो एक झकझोर देने वाले वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने लगा। जिसमें एक पिता अपने बीमार सात साल के बेटे को गोद में लेकर तेजी से पुल पार करता हुआ दिखाई दे रहा था। बच्चे के हाथ में वीगो लगा हुआ था। 900 मीटर लंबे इस पुल को पिता ने पहले तो पैदल चलकर पार करने की कोशिश की, लेकिन बेटे की तकलीफ को देखते हुए करीब 600 मीटर के हिस्से को दौड़कर पार करने को मजबूर हो गया। वायरल वीडियो में दिख रहे शख्स की शिनाख्त शहर के पठकाना मोहल्ला निवासी नसीम के रूप में हुई थी, जिसके सात वर्षीय बेटे जुनैद की अचानक हालत बिगड़ गई थी।
दो प्राइवेट अस्पतालों के बाद आखिरी में लेकर पहुंच हैलट
रविवार की रात में परिजन जुनैद को कानपुर के एक प्राइवेट अस्पताल ले गए, जहां गंभीर हालत को देखते हुए उसे भर्ती करने से मना कर दिया गया। इसके बाद जुनैद को दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां रात में उसका इलाज हुआ। लेकिन आराम नहीं मिला। दिन में इस अस्पताल ने भी हाथ खड़े कर दिए। जिसके बाद परिजन उसे हैलट लेकर भागे, जहां शाम चार बजे के आसपास जुनैद ने आखिरी सांस ली। उसकी मौत से परिवार में कोहराम मच गया। मोहल्ले में भी शोक की लहर दौड़ गई।
इलाज कराने को नहीं था पैसा, मोहल्ले वालों ने किया चंदा
जुनैद का पिता नसीम कबाड़ का काम करता है। बेहद गरीब है। कई दिन से जुनैद बीमार चल रहा था। अनजान में घर में रखी उसे बुखार और दर्द की पुरानी दवाएं खिला दी गई। जिससे उसकी हालत और बिगड़ गई। पिता के पास इतना पैसा नहीं था कि बच्चे को कहीं दिखा पाता। लिहाजा पड़ोसियों ने मासूम की जान बचाने को लेकर जिससे जो बन सका, उसने चंदा किया। करीब 20 हजार रुपए की रकम जुटाकर कल शाम को कानपुर लेकर भागे, लेकिन सोमवार की शाम होते-होते जुनैद की मौत हो गई।
चार बच्चों में सबसे बड़ा था जुनैद
जुनैद चार भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। अमन शहीद मोहल्ले के इस्लामियां मकतब स्कूल में कक्षा एक में पढ़ाई कर रहा था। पिता कबाड़ का काम करके परिवार का भरण-पोषण कर रहा था, जिसकी माली हालत काफी खराब थी।









