
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी FPO (किसान उत्पादक संगठन) योजना से जुड़े 340 से अधिक संगठनों ने ₹10 करोड़ का सालाना कारोबार पार कर लिया है। सरकार ने यह आंकड़े साझा करते हुए बताया कि यह योजना ग्रामीण कृषि क्षेत्र में एक बड़ा आर्थिक परिवर्तन लेकर आई है। वित्त वर्ष 2020-21 से शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य किसानों को संगठित करना, बाजार तक सीधी पहुंच दिलाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
क्या हैं FPOs?
FPO यानी Farmer Producer Organizations ऐसे समूह होते हैं जिनमें छोटे और सीमांत किसान एकजुट होकर कृषि उत्पादों की खरीद, भंडारण, पैकेजिंग और बिक्री करते हैं। इससे किसानों को बेहतर दाम मिलते हैं और बिचौलियों पर निर्भरता घटती है।
मुख्य आँकड़े
- 340+ FPOs का टर्नओवर ₹10 करोड़ से अधिक
- 1,100+ FPOs ने ₹1 करोड़ से ज्यादा सालाना कमाई की
- योजना के अंतर्गत अब तक 30 लाख किसान जुड़े, जिनमें 40% महिलाएं शामिल हैं
- सरकार का लक्ष्य: FY26 तक 10,000 FPOs बनाना
ई-कॉमर्स से कनेक्शन बना गेमचेंजर
FPOs ने ONDC, e-NAM, GeM, Flipkart, Amazon जैसे प्लेटफॉर्म पर अपने उत्पाद बेचकर नई ऊंचाइयों को छुआ है। इससे इन संगठनों को देशभर के ग्राहकों से सीधा जुड़ाव मिला है और बिक्री में भारी बढ़ोतरी हुई है।
सरकार से क्या मदद मिल रही?
- ₹18 लाख तक का ग्रांट
- ₹2 करोड़ तक का क्रेडिट गारंटी सपोर्ट
- ₹2,000 प्रति किसान सदस्य की इक्विटी सहायता
- ₹25 लाख तक का क्लस्टर आधारित विकास पैकेज
गुजरात का शानदार प्रदर्शन
गुजरात की एक FPO संस्था Babra Khedut Utpadak & Rupantar Mandli ने अकेले ₹102 करोड़ का टर्नओवर दर्ज किया है। इसमें करीब 1,465 किसान जुड़े हैं, और यह FPO MSP पर मूंगफली और कपास बेचती है।
FPO योजना किसानों को न सिर्फ बाज़ार तक पहुंच दिला रही है, बल्कि उन्हें व्यवसायिक सोच और आत्मनिर्भरता की ओर भी बढ़ा रही है। यह मॉडल आने वाले वर्षों में भारतीय कृषि को नया चेहरा दे सकता है।









