
भारत में इस बार मानसून के मजबूत प्रदर्शन का असर खरीफ बुवाई पर साफ दिख रहा है। केंद्र सरकार और भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक अब तक देश में खरीफ फसलों की बुवाई अनुमानित कुल क्षेत्रफल के 65% हिस्से में पूरी हो चुकी है।
मानसून ने दिखाई ताकत
देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में 10 से 16 जुलाई के बीच 31% अधिक वर्षा दर्ज की गई, जिससे खेतों में नमी बढ़ी और किसान तेजी से बुवाई में जुट गए। अब तक की स्थिति को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि अगस्त की शुरुआत तक खरीफ सीजन की बुवाई पूरी हो सकती है।
बुवाई की स्थिति (18 जुलाई 2025 तक)
- कुल अनुमानित क्षेत्र: 109.66 मिलियन हेक्टेयर
- अब तक बुवाई: 71.3 मिलियन हेक्टेयर (65%)
कौन-कौन सी फसलें प्रमुख?
खरीफ सीजन में मुख्य रूप से धान, मक्का, बाजरा, मूंगफली, सोयाबीन, कपास और दलहन की बुवाई होती है। कई राज्यों में धान और मक्का की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है, जबकि कुछ क्षेत्रों में कपास की बुवाई अभी भी धीमी है।
क्षेत्रवार प्रगति
- उत्तर भारत: पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में धान और मक्का की बुवाई जोरों पर
- मध्य भारत: मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सोयाबीन और दालों की बुवाई बढ़ी
- पश्चिम भारत: महाराष्ट्र और गुजरात में कपास की बुवाई थोड़ी धीमी लेकिन संतुलित
चुनौतियाँ अब भी बाकी
हालांकि मानसून अब तक अच्छा रहा है, लेकिन कुछ इलाकों में बारिश की असमानता देखी गई है। खासकर, पूर्वी भारत और कुछ सूखाग्रस्त ज़िलों में अब भी पानी की कमी महसूस की जा रही है। इससे वहां बुवाई में थोड़ी देरी हो सकती है।
खरीफ सीजन की बुवाई इस साल उम्मीद से तेज़ गति से आगे बढ़ रही है, जिसका मुख्य कारण मानसून का समय पर और पर्याप्त होना है। यदि यही स्थिति बनी रही तो खाद्यान्न उत्पादन में भी रिकॉर्ड वृद्धि की संभावना है, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा और किसान की आय दोनों को बल मिलेगा।









