
निर्भया केस में दोषियों को सजा दिलवाने वाली आशा देवी ने एक बार फिर कोर्ट से अपनी अपील जताई है। उन्होंने कहा कि दूसरे दोषियों को अगर बेल दी जाती है तो यह एक गलत संदेश जाएगा और इससे पीड़ित परिवार को सुरक्षा की चिंता बढ़ेगी। आशा देवी का मानना है कि कोर्ट को अपनी सुनवाई में निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए और दोषियों को किसी भी तरह की राहत नहीं मिलनी चाहिए।
आशा देवी का कहना है, “दूसरे लोग जो जेल में हैं वो भी कहेंगे कि फांसी की सजा हुई तो उसे खत्म करके फिर से सुनवाई की जाए ऐसा नहीं होना चाहिए। कोर्ट खुद ही मजाक बना रहा है।” आशा देवी ने इस बात पर भी जोर दिया कि न्याय का मतलब यह नहीं हो सकता कि अपराधियों को किसी न किसी रूप में राहत दी जाए, जबकि पीड़ित परिवार अभी भी सुरक्षा खतरे में है।
उन्होंने आगे कहा, “पता नहीं कहां से ऐसे हो रहा है। तो आप 500 किमी दूर रहो या घर पर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। फर्क इससे पड़ता है कि आपने क्राइम किया है और आपको सज़ा मिली है।” आशा देवी ने सरकार और कोर्ट से अपील की कि दोषियों को बेल न दी जाए और उनकी सजा को बरकरार रखा जाए।
आशा देवी ने यह भी कहा कि उनकी सुरक्षा के बारे में परिवार के अन्य सदस्य भी चिंतित हैं। “उनके भाई मिले थे और कह रहे थे कि हमारी तीन छोटी-छोटी बच्चियां हैं, जिन्हें हम स्कूल नहीं भेज सकते, हम सुरक्षा के अंदर रहते हैं, जॉब नहीं कर सकते। अगर वह बाहर आ जाएगा तो क्या होगा?”
आशा देवी की मुख्य अपीलें
- बेल नहीं मिलनी चाहिए: आशा देवी का कहना है कि दोषियों को बेल नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि इससे पीड़ित परिवार की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
- न्याय की निष्पक्षता: कोर्ट को पीड़ित के साथ हुए अपराध को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष सुनवाई करनी चाहिए।
- नई सुनवाई का तरीका गलत: उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट फांसी की सजा को खत्म करने का रास्ता अपनाता है तो यह गलत संदेश देगा और यह एक नई प्रक्रिया को जन्म देगा, जिसे कोर्ट नहीं मान सकती।









