
नोएडा. देश में इस समय एक बड़ी समस्या है बढ़ता प्रदूषण इससे निपटने के लिए सरकार कई कड़े कदम उठा रही है। सिर्फ प्रदूषण ही नहीं रोजाना इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक भी पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इसके अलावा नदी और समुद्र के किनारे होने वाला कूड़ा भी एक समस्या है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदूषण कम नहीं हो रहा है। और ना ही प्लास्टिक कचरा काम हो रहा है। इसी कड़ी में लोगों को जागरूक कैसे किया जाए ताकि वह प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करें। इस पर मंथन करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश सरकार ने जर्मनी एजेंसी GIZ india इंडिया के साथ मिलकर नोएडा में एक सेमिनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में प्लास्टिक कचरे को कैसे कम करें लोगों तक कैसे अपनी बात पहुंचाएं इस पर विचार किया गया।
कार्यक्रम में पहुंचे जस्टिस सुधीर अग्रवाल सदस्य एनजीटी ने कहा कि रूलर एरिया में जाकर यह कार्यक्रम करने पड़ेंगे यहां रेडिसन ब्लू में प्रोग्राम करने से कुछ नहीं होगा। जनसाधारण के कार्यक्रम है जनता के बीच ही जाकर उनको समझाना पड़ेगा तब कहीं जाकर इसका असर होगा। एनजीटी का काम सिर्फ जजमेंट करना है और ग्राउंड पर किसी चीज को इंप्लीमेंट कराना सरकार का काम है तो शायद कहीं ना कहीं इंप्लीमेंट कराने में कमी रह जाती है। सुधीर अग्रवाल ने कहा कि इंप्लीमेंट कराने के लिए फाइन भी लगाना होगा सख्त कदम भी उठाने होंगे तब कहीं जाकर कुछ सुधार आ पाएगा।
वहीं कार्यक्रम में पहुंचे मनोज सिंह, ACS, पर्यावरण वन और जलवायु विभाग उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा की एयर पोलूशन को कम करने के लिए अथॉरिटी और नगर निगम की पिछले डेढ़ महीने से लगातार मॉनिटरिंग हो रही है कि वह किस तरह से काम कर रहे हैं। पानी का छिड़काव हो रहा है पुराने वही कल पर भी पाबंदी लगाई जा रही है और हर संभव प्रयास किया जा रहा है जिससे कि एनसीआर का जो पोलूशन है वह कम हो। एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के देखरेख में लगातार यह प्रयास किया जा रहा है पोलूशन को कम करने के लिए जो भी तय मानक है उनका पालन कराया जाए। और इस बार पोलूशन को लेकर बहुत काम किया जा रहा है।