अब नार्को टेस्ट से तय होगा मैनपुरी नवोदय विद्यालय की छात्रा का कौन था हत्यारा, यूपी के मंत्री के बेटे समेत 3 को अहमदाबाद ले गयी एसआईटी

पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाली छात्रा की हत्या करने वाला कौन था? अगर उसकी मौत हत्या नही थी तो उसने आखिर आत्महत्या क्यों की? पुलिस ने शुरू से ही इस मामले पर आखिर क्यों परदा डालने की कोशिश की? कौन था जिसे पुलिस बचाना चाहती थी? मैनपुरी शहर में इस केस की पहले दिन से चर्चा है लेकिन दबी जुबान में. परिवार पहले दिन से अपनी बेटी की मौत पर इंसाफ मांग रहा है लेकिन कभी सियासी दबाब तो कभी नौकरशाही के डंडे से उसे दबाने की कोशिश की गयी. परिवार कहता है कि उसे देश की संवैधानिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है. इसलिए अब इंसाफ की यह लड़ाई अदालत के दरवाजे पर है. यूपी की पुलिस और राज्य की एसआईटी जिस केस की फाइल के फीते में गांठ मार चुकी थी उसे हाईकोर्ट ने एक बार फिर से खोल दिया है. केस में जांच का महत्वपूर्ण मोड़ कथित आरोपियों की नार्को टेस्ट होगा.

ढाई साल पहले मैनपुरी के नवोदय विद्यालय में छात्रा के कथित दुष्कर्म-हत्या के मामले में अब बड़ा मोड़ आया है. यूपी सरकार में मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री के बेटे अंकुर अग्निहोत्री समेत 3 आरोपियों का अब नार्को टेस्ट होगा. हाईकोर्ट के आदेश पर गठित केस की एसआईटी-2 तीनों कथित आरोपियों का नार्को टेस्ट कराने के लिए अहमदाबाद लेकर रवाना हो चुकी है. मृतक छात्रा की मां ने कोर्ट में दिये गये बयान में मंत्री के बेटे अंकुर अग्निहोत्री समेत 5 को दुष्कर्म-हत्या का आरोपी बताया था.

मैनपुरी के भोगांव स्थित नवोदय विद्यालय में 16 सितंबर 2019 को मैनपुरी शहर की निवासी 11वीं की छात्रा एक कमरे की छत से लटकी मिली थी. छात्रा का शव उसी की चुनरी के फंदे से छत के कुंदे से लटका हुआ था. मामला हाईप्रोफाइल लोगो से जु़ड़ा था इसलिए पुलिस ने इस मामले में एकतरफा रूख अख्तयार किया और केस को दबाने की कोशिश की गयी. पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया और छात्रा की मौत को सुसाइड करार दिया.

परिजन इस मामले में गंभीर आरोप लगाते रहे. बाबजूद इसके पुलिस ने कोई गंभीर कदम नही उठाया. मामले ने तूल पकड़ लिया. पुलिस-प्रशासन के आरोपियों के साथ सांठगांठ के आरोपों को लेकर तमाम धरना-प्रदर्शन हुए. सीबीआई से जांच कराने की मांग भी उठी. अपनी छवि बिगड़ती देख पुलिस ने मृतका के परिवार से तहरीर लेकर केस दर्ज कर लिया. छात्रा के परिजनों ने बेटी के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करके फांसी पर लटकाये जाने के आरोप लगाये थे.

मृतका की मां ने एक बार जो बयान दिया, उसे बदला नही-

नवम्बर-2019 में पुलिस ने इस मामले में मृतका की फोरेंसिक रिपोर्ट को छुपा लिया. फोरेंसिक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि मृतका के शरीर पर पुरूष का स्पर्म मिला है. किसी तरह यह रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गयी और सार्वजनिक हो गयी. पुलिस ने इस मामले में 500 से ज्यादा डीएनए कराये लेकिन किसी का भी छात्रा के शरीर पर मिले स्पर्म से मिलान नही हो सका.

फोरेंसिक रिपोर्ट में स्पर्म मिलने की रिपोर्ट पुलिस ने क्यों दबायी-

फोरेंसिक रिपोर्ट को शासन से छुपाये जाने के मामले ने तूल पकड़ा. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले में जतिन प्रसाद को मैंनपुरी भेजा और केस को कानून-व्यवस्था के फेल्योर का मुद्दा बनाया. राज्य सरकार ने तत्काल इस मामले में मैनपुरी के डीएम,एसपी को हटा दिया और आईजी मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में केस की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी गठित कर दी. एसआईटी का गठन होने से पहले पुलिस ने अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ते हुए एम्स के डाक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर निष्कर्ष मांगा था.

एम्स पैनल की जरिये केस में क्लोजर रिपोर्ट लगाने की कोशिश नाकाम-

पुलिस की मंशा के अनुरूप एम्स के डाक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सबूतों के आधार पर यह फैसला दिया कि छात्रा की मौत सुसाइड है. लेकिन फोरेंसिक जांच रिपोर्ट में मिले पुरूष स्पर्म का मिलान परिस्थितियों से नही हो सका. राज्य सरकार के आदेश पर गठित एसआईटी ने लिखा कि फोरेंसिक रिपोर्ट में मेल स्पर्म की बात कहा जाना जांचकर्ताओं की मानवीय त्रुटि हो सकती है. मृतका छात्रा दूसरे बच्चों के बैग से दालमोंठ और नमकीन जैसी चीजें चुरा लिया करती थी और पकड़े जाने पर आत्मग्लानि से बचने के लिए उसने सुसाइड कर लिया.

हाईकोर्ट का डीजीपी पर गुस्सा और बनी नई एसआईटी-

सामाजिक कार्यकर्ता एमपी सिंह ने इस मामले को पुलिस और राज्य सरकार की असफलता बताते हुए हाईकोर्ट में मृतका को इंसाफ के लिए याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य के डीजीपी को तलब किया तो सुनवाई के दौरान वह जांच को लेकर पुख्ता तौर पर अपनी बात नही रख सके. हाईकोर्ट ने डीजीपी को फटकार लगाते हुए आदेश दिया कि वह दो दिन में रहकर इस मामले में कार्रवाई सुनिश्चित करें. आनन-फानन में हाईकोर्ट की नाराजगी से बचने के लिए एक एडीशनल एसपी, एस सीओ, विवेचक पोहपसिंह समेत 5 पुलिसवालों को निलंबित कर दिया गया.

हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले में एक नई एसआईटी का गठन किया गया. एसआईटी-2 ने इस मामले में मृतका की मां के आरोपों को संजीदगी से लेते हुए नवोदय विद्यालय की प्रधानाचार्या सुषमा सागर को जेल भेजा है. एसआईटी अब नार्को टेस्ट के जरिये केस की परतें खोलने की कोशिश कर रही है.

परिजनों के आरोपों पर आखिर क्यों संजीदा नही हुई पुलिस-

परिजनों के आरोप रहे है कि रात के अंधेरे में नवोदय विद्यालय में वीआईपी गाड़ियों का आवागमन था. उनकी बेटी को एक साजिश का शिकार बनाया गया लेकिन मामला बड़े लोगो से जुड़ा होने के कारण नौकरशाही ने इस पर परदा डालने की कोशिश की. मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री 2022 विधानसभा चुनाव में भोगांव विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर विधायक निर्वाचित हुए है.

Report- Praveen Saxena

Related Articles

Back to top button