रामपुर तिराहा कांड पर अब कल आएगा फैसला, जानिए क्यों हुई थी 7 आंदोलनकारियों की मौत ?

पत्रावली से मूल दस्तावेज गायब होने के बाद फोटो स्टेट पर ही सुनवाई करने की CBI की याचिका पर कोर्ट कल फैसला सुनाएगा.

मुजफ्फरनगर- उत्तर प्रदेश के चर्चित रामपुर तिराहा कांड पर सरकार बनाम मिलाप सिंह केस को लेकर कोर्ट में बहस पूरी हो गई है. पत्रावली से मूल दस्तावेज गायब होने के बाद फोटो स्टेट पर ही सुनवाई करने की CBI की याचिका पर कोर्ट कल फैसला सुनाएगा. हालांकि आरोपियों की ओर से इस मामले में लिखित आपत्ति दाखिल की गई थी.

दरअसल, 1994 में अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर उत्तराखंड में आंदोलन शुरु हो गया था. 1 और 2 अक्टूबर को 1994 की रात को दिल्ली जाते समय हजारों आंदोलनकारियों को मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहे पर रोक लिया गया था. जहां पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच तीखी झड़प देखने को मिली थी. तीखी झड़प के बीच ही फायरिंग भी शुरु हो गई थी. रामपुर तिराहे पर आंदोलनकारियों पर गोलीबारी हुई थी.पुलिस की ओर से की गई इस फायरिंग में 7 आंदोलनकारियों की मौत हुई थी. और कई लोग घायल हुए थे.

आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड को अलग राज्य बनवाने की मांग की थी. इस मामले की जांच CBI ने की थी.

CBI की विवेचना में कई आंदोलनकारी महिलाओं के साथ रेप की बात भी सामने आई थी. जबकि आंदोलनकारियों की हत्या के मामले में कई पुलिसकर्मियों को भी आरोपी बनाया गया था. जिसके बाद चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई थी.

मामले पर जानकारी
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता परविंदर सिंह ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-7 शक्ति सिंह मामले की सुनवाई कर रहे हैं. और सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा ने कोर्ट को बताया था कि पत्रावली से मुकदमे संबंधी मूल दस्तावेज गायब हो गए है. मांग की थी कि दस्तावेजों की फोटोस्टेट पर ही कोर्ट सुनवाई करें.

आरोपियों के अधिवक्ताओं ने इसपर लिखिति आपत्ति दाखिल की थी. जिसपर कोर्ट में बहस पूरी हो गई है. अब कोर्ट 11 अगस्त को फैसला सुनाएगी.

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