
नई दिल्ली: भारत के कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर में 2025 की पहली छमाही में ऑफिस स्पेस की लीजिंग में 40% की जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है। यह तेजी मुख्य रूप से ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) की बढ़ती मांग से प्रेरित है। रियल एस्टेट सर्विसेज फर्म अनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार, देश के शीर्ष सात शहरों में पहली छमाही में कुल ऑफिस स्पेस लीजिंग 26.8 मिलियन स्क्वायर फीट रही, जो पिछले साल की समान अवधि के 19.08 मिलियन स्क्वायर फीट से अधिक है।
शहरवार मांग की बात करें तो, बेंगलुरु ने GCC की मांग में नेतृत्व बनाए रखा, जहां 5.45 मिलियन स्क्वायर फीट ऑफिस स्पेस लीज़ किया गया। इसके बाद NCR (2.81 मिलियन स्क्वायर फीट), पुणे (2.77 मिलियन स्क्वायर फीट), हैदराबाद (1.93 मिलियन स्क्वायर फीट) और चेन्नई (0.95 मिलियन स्क्वायर फीट) का स्थान रहा।
अनारॉक ग्रुप के एमडी, पीयूष जैन ने बताया कि नए ऑफिस स्पेस की आपूर्ति में 25% की वृद्धि हुई, जो 24.51 मिलियन स्क्वायर फीट तक पहुंच गई। इससे बाजार में संतुलन बना रहा। वहीं, खालीपन की दर (vacancy rate) 16.3% तक बेहतर हुई और औसत किराया 4% बढ़कर 88 रुपये प्रति स्क्वायर फीट प्रति माह हो गया।
रिपोर्ट के अनुसार, IT-ITES सेक्टर ने कुल बाजार का 29% हिस्सा हासिल किया, जबकि को-वर्किंग स्पेस का हिस्सा 22% रहा। बेंगलुरु ने कुल 6.55 मिलियन स्क्वायर फीट की एब्जॉर्प्शन के साथ बाजार नेतृत्व बनाए रखा, जबकि पुणे 188% की वृद्धि के साथ सबसे तेजी से बढ़ता हुआ बाजार बनकर उभरा।
इसके अलावा, पहली छमाही में कुल ऑफिस डील्स का 57% हिस्सा 0.1 मिलियन स्क्वायर फीट से अधिक था, जो बड़े कॉर्पोरेट्स द्वारा कंसॉलिडेटेड और बड़े ऑफिस स्पेस की पसंद को दर्शाता है।
अनारॉक की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स का विस्तार और कॉर्पोरेट कॉन्फिडेंस बाजार की मजबूती के पीछे मुख्य कारण हैं। यह सेक्टर 2025 के शेष हिस्से में भी स्थिर और निरंतर वृद्धि की ओर अग्रसर रहने की उम्मीद रखता है।









