
नई दिल्ली: 2025 भारतीय वाणिज्यिक रियल एस्टेट के लिए एक और मजबूत वर्ष साबित हो रहा है। Colliers की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की दूसरी तिमाही (Q2 CY25) में भारत के शीर्ष 7 शहरों में ग्रेड-A ऑफिस स्पेस की लीजिंग 11% बढ़कर 17.8 मिलियन वर्गफुट तक पहुंच गई है।
Q2 CY25 की प्रमुख बातें:
- ग्रॉस लीजिंग (Gross Absorption) में लीज रीन्युअल, प्री-कमिटमेंट और LOI साइन डील्स शामिल नहीं।
- बेंगलुरु सबसे आगे, कुल लीजिंग का 27% हिस्सा (4.8 msf)
- हैदराबाद, मुंबई, चेन्नई ने प्रत्येक में 2.5+ msf लीजिंग दर्ज की
- मुंबई में लीजिंग में 20% गिरावट
- टेक्नोलॉजी सेक्टर ने 6.4 msf स्पेस लिया, जो कि 42% सालाना वृद्धि है
- फ्लेक्स स्पेस ऑपरेटरों की लीजिंग: 4.3 msf
लीजिंग ग्रोथ के प्रमुख कारक:
- ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) का विस्तार
- फ्लेक्स स्पेस और को-वर्किंग की मांग
- किफायती संचालन लागत और Build-to-Suit स्पेस की उपलब्धता
- BFSI और इंजीनियरिंग कंपनियों की आक्रामक विस्तार नीति
विशेषज्ञों की राय:
“पहली छमाही में 33.7 मिलियन वर्गफुट की मांग यह दर्शाती है कि भारत का ऑफिस स्पेस बाजार अभी भी मजबूत बुनियाद पर खड़ा है,” — अर्पित मेहरोत्रा, Colliers
“हमारे जैसे फ्लेक्स स्पेस प्रदाताओं के लिए यह माहौल बेहद अनुकूल है।” — अमल मिश्रा, CEO, Urban Vault
जिन शहरों में गिरावट दर्ज हुई:
- दिल्ली-NCR
- मुंबई
- कोलकाता
- हैदराबाद (YoY गिरावट के बावजूद Q-o-Q अच्छा प्रदर्शन)
वर्ष के अंत तक अनुमान:
“2025 के अंत तक कुल ऑफिस स्पेस मांग 65–70 मिलियन वर्गफुट तक पहुंच सकती है।”









