
केंद्र की मोदी सरकार ने मंगलवार को नई संसद भवन में महिला आरक्षण बिल पेश किया। दूसरी तरफ इस बिल को लेकर सियासत शुरू हो गयी। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि नई संसद के पहले दिन ही सरकार ने ‘महाझूठ’ से पारी शुरू की है। जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू नहीं होगा। इस काम में कई साल लग जाएंगे। सरकार को महिलाओं से झूठ बोलने की क्या जरूरत थी। सरकार न जनगणना के पक्ष में है न जातिगत गणना के और इनके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं है।
लखनऊ
— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) September 20, 2023
➡सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया
➡महिला आरक्षण को लेकर अखिलेश का ट्वीट
➡‘नई संसद के पहले दिन ही सरकार ने ‘महाझूठ’ से पारी शुरू की’
➡‘जनगणना, परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू नहीं
होगा’
➡इस काम में कई साल लग जाएंगे – अखिलेश यादव
➡‘सरकार को महिलाओं से… pic.twitter.com/RrzEOU3pFi
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएँगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी। भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न जातिगत गणना के, इनके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं है। ये आधा-अधूरा बिल ‘महिला आरक्षण’ जैसे गंभीर विषय का उपहास है, इसका जवाब महिलाएं आगामी चुनावों में भाजपा के विरूद्ध वोट डालकर देंगी।
चुनाव को देखते हुए लाया गया महिला आरक्षण बिल- डिंपल यादव
महिला आरक्षण बिल को लेकर डिंपल यादव ने केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सरकार को 9 साल पूरे हो गए हैं। अगर इन्हें (केंद्र सरकार) महिला आरक्षण बिल लाना था, तो ये पहले ला सकते थे। ये इसे आखिरी साल में ला रहे हैं, जब चुनाव हैं। आगे डिंपल यादव ने अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि सपा ने हमेशा इसका समर्थन किया है और हम सभी चाहते हैं कि OBC महिलाओं का भी इसमें आरक्षण निर्धारित हो क्योंकि जो आखिरी पंक्ति में खड़ी महिलाएं हैं. उन्हें उनका हक मिलना चाहिए।
अर्जुनराम मेघवाल ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम लोकसभा में पेश किया गया
मंगलवार को महिला आरक्षण पर अर्जुनराम मेघवाल ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम लोकसभा में पेश किया गया। बिल को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। दिल्ली में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित। दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित होंगी। महिला आरक्षण की अवधि 15 साल होगी। विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण है। लोकसभा में महिलाओं को 33% आरक्षण मिलेगा। लोकसभा की 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। 15 साल बाद पुनर्विचार किया जा सकेगा। लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 होगी। बता दें कि लोकसभा में फिलहाल 82 महिला सांसद हैं।









