ऑपरेशन सिंदूर, पाकिस्तान में भारत की निर्णायक कार्रवाई, नए भारत की ‘मोदी डॉक्ट्रिन’ का प्रतीक

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध भारत की सैन्य कार्रवाइयों में ऑपरेशन सिंदूर एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बनकर उभरा है। यह महज़ ...

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध भारत की सैन्य कार्रवाइयों में ऑपरेशन सिंदूर एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बनकर उभरा है। यह महज़ नियंत्रण रेखा या अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पहली बार भारत ने पाकिस्तान के भीतर, उसके केंद्र में आतंक के गढ़ों पर सीधी और निर्णायक चोट की।

14 दिन पहले पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए भारतीय जवानों का बदला लेते हुए भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर में 100 से अधिक आतंकवादियों को ढेर कर दिया। यह एक समन्वित रणनीति थी जिसमें सैन्य और गैर-सैन्य दोनों स्तरों पर ताकत का प्रदर्शन हुआ। 11 पाकिस्तानी वायुसेना अड्डों को तबाह कर दिया गया, वहीं 9 अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी ठिकानों को जड़ से खत्म किया गया।

1960 में हस्ताक्षरित एकतरफा सिंधु जल संधि को पहली बार भारत ने निलंबित कर दिया है, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और जीवनरेखा पर बड़ा संकट आ गया है। भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान भारत से इस संधि पर दोबारा बातचीत की अपील कर रहा है।

ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो नेहरू युग से लेकर कांग्रेस सरकारों तक पाकिस्तान के प्रति नरम रुख स्पष्ट रहा है। 2008 के मुंबई हमलों के बाद भी कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी थी। वहीं मोदी सरकार के आने के बाद से सर्जिकल स्ट्राइक (2016), बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019) और अब ऑपरेशन सिंदूर जैसे जवाबी हमले एक नई भारत की नीति की पुष्टि करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को “Airbases Still in ICU” कहकर तंज कसते हुए स्पष्ट कर दिया कि अब भारत की भाषा ‘अमन की आशा’ नहीं, बल्कि ‘ब्रह्मोस की भाषा’ है। वैश्विक मंचों पर भी इस ऑपरेशन की सराहना हो रही है, जो भारत के रणनीतिक संकल्प और सैन्य कौशल का प्रतीक बन चुका है।

Related Articles

Back to top button