Opinion: भारत में बुनियादी ढांचा क्रांति – प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य पहलें दे रही हैं नये अवसर

प्रौद्योगिकी और आधुनिक योजना का इस्तेमाल करके शहरों को स्वच्छ, कुशल और रहने योग्य बनाना। स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम, बेहतर कचरा प्रबंधन, डिजिटल शासन...

भारत के विकास की कहानी में एक ऐसा पहलू है, जिसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता और वह है बुनियादी ढांचे का विस्तार। यह सिर्फ कंक्रीट और स्टील का काम नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत, जुड़े और आधुनिक राष्ट्र की रीढ़ बनाता है। सड़कों, रेलवे, बिजली, और पानी की सुविधाओं से लेकर, यह सब अब किसी विलासिता का हिस्सा नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक जीवन जीने के बुनियादी तत्व बन चुके हैं। और पिछले कुछ वर्षों में, हम जो बुनियादी ढांचा क्रांति देख रहे हैं, वह एक मौन क्रांति से कम नहीं है।

ग्रामीण भारत का भी हुआ विस्तार
भारत में बुनियादी ढांचे के विकास की सबसे बड़ी पहचान अब सिर्फ महानगरों और बड़े शहरों तक सीमित नहीं रही है। डिजिटल कनेक्टिविटी की बात करें तो, एक दशक पहले गांवों में उच्च गति इंटरनेट की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, लेकिन अब डिजिटल इंडिया मिशन और ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के विस्तार की वजह से लाखों पंचायतों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंच रही है। इससे ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन, डिजिटल बैंकिंग, और सरकारी सेवाएं गांवों में भी पहुंच रही हैं, जिससे ग्रामीण जीवन में एक नया आयाम जुड़ रहा है।

बुनियादी जरूरतों की सुलभता
अब बात करते हैं जल और बिजली जैसी बुनियादी जरूरतों की। जल जीवन मिशन के तहत, देश के हर ग्रामीण घर में पाइप से पानी पहुंचाने का लक्ष्य है। यह केवल सुविधा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और गरिमा का सवाल है। इसके अलावा, बिजली की पहुंच बढ़ाने का काम भी जोर-शोर से चल रहा है। अब ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की दिशा में लगातार काम हो रहा है। सौर ऊर्जा, माइक्रो-ग्रिड्स, और विकेंद्रित ऊर्जा समाधान भी इसका हिस्सा बन रहे हैं, जिससे हर घर में बिजली पहुंचाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

गरीबों को मिल रही छत और सुरक्षा
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों घर गरीबों के लिए बनाये गए हैं, जो केवल कंक्रीट संरचनाएं नहीं, बल्कि पूरी सुविधाओं से लैस घर हैं, जिनमें शौचालय, पानी, और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं। यह योजना केवल एक आश्रय प्रदान करने के लिए नहीं, बल्कि लोगों को सुरक्षा, स्वामित्व और एक नया जीवन शुरू करने का अवसर देने के लिए है। जब लोग सुरक्षित घरों में रहते हैं, तो उनका जीवन बदलता है, उनके सपने बदलते हैं, और यह परिवर्तन का असली चेहरा है।

आधुनिकता और स्थिरता का संगम
स्मार्ट सिटी का विचार भविष्यवादी जरूर लगता है, लेकिन इसका उद्देश्य बहुत स्पष्ट है—प्रौद्योगिकी और आधुनिक योजना का इस्तेमाल करके शहरों को स्वच्छ, कुशल और रहने योग्य बनाना। स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम, बेहतर कचरा प्रबंधन, डिजिटल शासन, और शहरी गतिशीलता जैसे उपाय स्मार्ट सिटी के निर्माण में शामिल हो रहे हैं। ये शहर केवल सीमेंट से नहीं, बल्कि समझदारी से बनाए जा रहे हैं, जो विकास और हरियाली को साथ लेकर चलते हैं।

चुनौतियां और अवसर
हालांकि, सड़क, रेलवे और अन्य बुनियादी ढांचे के विस्तार की राह में कई चुनौतियां हैं, जैसे भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय चिंताएं, विस्थापन और भ्रष्टाचार, लेकिन इन समस्याओं के बावजूद, जो चीज़ सबसे ज्यादा प्रेरित करती है, वह है भारत सरकार की महत्वाकांक्षा और काम करने की गति। केंद्रीय सरकार, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों के बीच समन्वय बढ़ रहा है, और सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP) के जरिए नवाचार और वित्तपोषण को बढ़ावा मिल रहा है।

भारत में बुनियादी ढांचे की इस क्रांति का केवल संख्याओं और आंकड़ों से आंकलन नहीं किया जा सकता। यह उन कहानियों के बारे में है, जो छोटे-छोटे गांवों और कस्बों में घट रही हैं। यह उस वृद्ध व्यक्ति की कहानी है, जिसने 60 वर्षों बाद अपनी गांव तक पहुंचने वाली सड़क देखी। यह उस लड़की की कहानी है, जो झारखंड में ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ी है। यह उस मिस्त्री की कहानी है, जिसने सरकारी मदद से अपना खुद का पक्का घर बनाया। यही हैं भारत की बुनियादी ढांचा क्रांति की असली कहानियां।

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