हिजाब विवाद पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयान पर जमकर बरसे ओवैसी, दिया करारा जवाब!

उत्तर प्रदेश में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "पाकिस्तान को भारत को लड़कियों की शिक्षा पर व्याख्यान नहीं देना चाहिए। मलाला पर वहीं गोली चलाई गई थी। वे अपनी लड़कियों को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहे और अब भारत को लेक्चर दे रहे हैं।"

बुधवार सुबह लड़कियों की शिक्षा पर भारत को लेक्चर देने की कोशिश करने वाले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने करारा जवाब दिया। उत्तर प्रदेश में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए कहा कि वे अपना काम खुद करें। ओवैसी ने कहा कि जो देश मलाला की रक्षा नहीं कर सका, उसे भारत को बालिका शिक्षा पर व्याख्यान नहीं देना चाहिए।

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को भारत को लड़कियों की शिक्षा पर व्याख्यान नहीं देना चाहिए। मलाला पर वहीं गोली चलाई गई थी। वे अपनी लड़कियों को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहे और अब भारत को लेक्चर दे रहे हैं।” ओवैसी की यह टिप्पणी पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के यह कहने के बाद आई है कि भारत मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।

दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक ट्वीट में कहा, “मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना मौलिक मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। किसी को भी इन मौलिक अधिकार से वंचित करना और उन्हें हिजाब पहनने के लिए आतंकित करना बिल्कुल दमनकारी है।” कुरैशी ने आगे लिखा, “दुनिया को यह महसूस करना चाहिए कि यह मुसलमानों की स्वतंत्रता को एक दायरे में सिमित करने की भारतीय राज्य की योजना का हिस्सा है।”

पाकिस्तानी विदेश मंत्री के इस ट्वीट के जवाब में, ओवैसी ने कहा कि कर्नाटक हिजाब विवाद भारत का आंतरिक मुद्दा था और दूसरों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान के लोगों को अपने आंतरिक संघर्षों की चिंता करनी चाहिए, हमारे मुद्दों में दखल देने की जरूरत नहीं है।

इससे एक दिन पहले, ओवैसी ने ट्वीट किया कि उन्होंने उस लड़की (मुस्कान) से बात की थी, जिसे मंगलवार को कर्नाटक के कॉलेज में बुर्का पहनने के लिए भीड़ ने परेशान किया था। ओवैसी ने कहा, “उनके लिए धर्म और पसंद की स्वतंत्रता का प्रयोग करते हुए शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहने का आग्रह किया। मैंने बताया कि उनके निडरता का परिचय देने वाला यह काम हम सभी के लिए साहस का स्रोत बन गया है।”

Related Articles

Back to top button