
औपनिवेशिक काल में भारत से बाहर ले जाए गए थे रत्न
भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों से जुड़े 349 रत्नों की ऐतिहासिक वापसी
सुधारात्मक सांस्कृतिक प्रयासों के तहत 127 साल बाद भगवान बुद्ध के पिपरहवा अवशेषों से जुड़े रत्नों को भारत वापस लाया गया है। ये रत्न हाल ही में सोटबीज़ हांगकांग में नीलामी के लिए रखे गए थे।
गॉडरेज इंडस्ट्रीज ने निभाई ऐतिहासिक भूमिका
गॉडरेज इंडस्ट्रीज समूह के पिरोजशा गॉडरेज ने इन 349 रत्नों का अधिग्रहण कर भारत को सौंपा। हालांकि, खरीद की राशि का खुलासा नहीं किया गया, पर इसकी अनुमानित कीमत 100 मिलियन डॉलर से अधिक मानी जा रही है।
सांस्कृतिक मंत्रालय ने दिखाई तत्परता, Sotheby’s को भेजा था नोटिस
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने सोटबीज़ हांगकांग को कानूनी नोटिस जारी कर नीलामी को रोकने और भारत को रत्न वापस करने की मांग की थी। 7 मई की प्रस्तावित नीलामी को Sotheby’s ने मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद स्थगित कर दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश – “हर भारतीय को होगा गर्व”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों की 127 साल बाद भारत वापसी हर भारतीय को गर्व से भर देगी। यह हमारी संस्कृति की रक्षा और संरक्षण के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
पांच साल के लिए नेशनल म्यूज़ियम में प्रदर्शित होंगे रत्न
संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि रत्नों का एक बड़ा हिस्सा पांच वर्षों के लिए राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शन हेतु रहेगा, जबकि पूरी जेम कलेक्शन को भारत आने के बाद तीन महीने तक सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाएगा।
पिपरहवा स्तूप से मिले थे अवशेष, कोलकाता म्यूज़ियम में हैं अन्य भाग
पिपरहवा, उत्तर प्रदेश में नेपाल सीमा के पास स्थित एक प्राचीन बौद्ध स्तूप है, जहां 1898 में ये अवशेष खोजे गए थे। इनमें भगवान बुद्ध की अस्थियाँ, क्रिस्टल और सोपस्टोन के पात्र, और बलुआ पत्थर का कफर शामिल हैं। अन्य अवशेष कोलकाता के इंडियन म्यूज़ियम में संरक्षित हैं।
ब्रिटेन ने जताई असमर्थता, लेकिन भारत ने दिखाया संकल्प
संस्कृति मंत्री शेखावत ने 2 मई को ब्रिटेन की संस्कृति सचिव लिसा नैंडी से भी मुद्दा उठाया था। हालांकि ब्रिटेन ने निजी स्वामित्व का हवाला देते हुए मदद से इनकार किया, लेकिन भारत की दृढ़ता और कानूनी प्रयासों ने अंततः सफलता दिलाई।
नीलामीकर्ता का बयान: “यह ऐतिहासिक खोजों में एक अद्भुत घटना”
Sotheby’s की वेबसाइट ने लिखा था: “1898 में पिपरहवा में खोजे गए ये रत्न इतिहास की सबसे अद्भुत पुरातात्विक खोजों में शामिल हैं।”
क्रिस पेप्पे की प्रतिक्रिया: “परिवार के पास थे रत्न, मैंने ही शुरू किया शोध”
विलियम क्लैक्सटन पेप्पे के परपोते क्रिस पेप्पे ने लिखा कि 2013 में उन्हें और उनके दो चचेरे भाइयों को ये रत्न पारिवारिक विरासत के रूप में प्राप्त हुए थे, जिसके बाद उन्होंने इनके इतिहास पर शोध शुरू किया।








