प्रधानमंत्री मोदी ने NASA के Axiom-4 मिशन से लौटे पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से की मुलाकात

Shubhanshu Shukla. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से मुलाकात की, जो जुलाई में NASA के Axiom-4 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर अंतरिक्ष से लौटे। शुक्ला इस मिशन के साथ चार दशकों में अंतरिक्ष जाने वाले पहले भारतीय बने।

मुलाकात के दौरान शुक्ला ने साझा किया कि दुनिया भर में लोग भारत के आगामी Gaganyaan मिशन को लेकर बहुत उत्साहित हैं। उन्होंने कहा जहाँ भी गया, जिनसे मिला, हर कोई बहुत खुश और उत्साहित था। सबसे बड़ी बात यह थी कि हर कोई जानता था कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में क्या कर रहा है। कई लोग Gaganyaan के लिए और उत्साहित थे और मुझसे पूछते थे, ‘आपका मिशन कब है?’ और मेरी टीम के सदस्यों ने मुझसे यह भी कहा कि जब भी Gaganyaan होगा, हमें लॉन्च पर आमंत्रित करेंगे।

प्रधानमंत्री ने पूछा, “पहले भारतीय के रूप में वहां जाने का अनुभव कैसा रहा और लोग कौन से सवाल पूछते हैं?” शुक्ला ने बताया कि लोगों की उत्सुकता अत्यधिक थी और यह भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं का परिचायक है।

शारीरिक अनुभव और अंतरिक्ष जीवन

प्रधानमंत्री के सवाल पर कि लंबे अंतरिक्ष यात्रा के बाद शरीर में क्या बदलाव आए, शुक्ला ने कहा अंतरिक्ष का वातावरण बहुत अलग है। वहां पहुंचते ही हम सीट बेल्ट खोल सकते हैं और कैप्सूल के भीतर घूम सकते हैं। हृदय गति धीमी हो जाती है, लेकिन शरीर 3-4 दिनों में समायोजित हो जाता है। धरती पर लौटने के बाद शरीर को फिर से एडजस्ट होने में समय लगता है। भले ही मैं स्वस्थ था, फिर भी मैं सही से चल नहीं पा रहा था। लोगों को सहारा देना पड़ा।

अंतरिक्ष में खाद्य प्रयोग और विज्ञान

शुक्ला ने अंतरिक्ष में भोजन और कृषि प्रयोगों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मूंग और मेथी जैसी फसलों को उगाना आसान है और इसके लिए कम संसाधनों की आवश्यकता होती है। अंतरिक्ष स्टेशन पर भोजन बड़ी चुनौती है, क्योंकि जगह कम है और सामान महंगा है। हर समय अधिकतम कैलोरी और पोषक तत्व सीमित जगह में पैक करने की कोशिश होती है। ये प्रयोग 8 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं और हमारी संस्कृति के कुछ रहस्य हैं।

अंतरिक्ष में तैयारी और प्रशिक्षण

शुक्ला ने प्रधानमंत्री को बताया कि एयर फ़ोर्स और टेस्ट पायलट बनने के बाद कड़ी अध्ययन और तकनीकी अनुशासन की तैयारी उन्हें मिशन के लिए सक्षम बनाती है। उन्होंने कहा मिशन सफल रहा, हम लौट आए, लेकिन यह केवल शुरुआत है।

प्रधानमंत्री ने भारत में 40-50 अंतरिक्ष यात्रियों का पूल बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। शुक्ला ने कहा कि आज के बच्चे अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए पहले से अधिक आशान्वित हैं। उन्होंने बताया कि मिशन के दौरान उन्होंने तीन बार बच्चों से बात की, और हर कार्यक्रम में बच्चे पूछते थे, मैं कैसे अंतरिक्ष यात्री बन सकता हूँ? आज के भारत में यह सपना संभव है। हमारे पास विकल्प है और हम इसे प्राप्त कर सकते हैं।

सरकार के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सराहना

शुक्ला ने कहा कि सरकार अंतरिक्ष अनुसंधान में निरंतर समर्थन दे रही है, चाहे पहले Chandrayaan-2 जैसी असफलताएं हुई हों। Chandrayaan-3 सफल रहा। इस तरह के समर्थन से हमें विश्व में नेतृत्व का अवसर मिलता है। आत्मनिर्भरता और अंतरिक्ष निर्माण में हमारी क्षमता जुड़ी हुई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा यदि हम आत्मनिर्भर होकर यह करेंगे, तो सफलता निश्चित होगी।

मिशन का विवरण

शुक्ला 25 जून को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से Axiom-4 मिशन पर रवाना हुए थे। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर तीन सप्ताह तक रहने के बाद, उन्होंने 15 जुलाई को कैलिफ़ोर्निया के तट पर स्प्लैश डाउन किया और रविवार को नई दिल्ली पहुंचे। उनके मिशन के साथ राकेश शर्मा के 1984 के मिशन के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष गया नहीं था।

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