
Lok Sabha, Parliament Winter Session 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर ऐतिहासिक बयान दिया। उन्होंने इस गीत की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरणास्त्रोत था। प्रधानमंत्री ने बताया कि यह गीत हमारे महापुरुषों के स्वतंत्रता के सपने को संजोने और उसे पूरा करने के लिए हमेशा प्रेरित करता रहा। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ की भावना ने आज़ाद भारत के सपने को सींचा था और अब यह समृद्ध भारत के सपने को पूरा करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा, “भारत के महापुरुषों का सपना था स्वतंत्र भारत, और आज की पीढ़ी का सपना है समृद्ध भारत। वंदे मातरम् की भावना ने स्वतंत्र भारत का सपना साकार किया और अब यही भावना हमें आत्मनिर्भर भारत और 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए प्रेरित कर रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि ‘वंदे मातरम्’ के प्रभाव से देश ने कई संकटों का सामना किया और हमेशा इसे अपनी शक्ति और प्रेरणा का स्रोत माना।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, “वंदे मातरम् वह ताकत है जो आज भी हमें जोड़ती है। जब भी भारत पर संकट आए, वंदे मातरम् की भावना ने देश को मजबूती दी। जब देश की आज़ादी को कुचलने की कोशिश हुई, जब आपातकाल थोपा गया, तब वंदे मातरम् की ताकत ही थी जिसने देश को खड़ा किया और संघर्ष में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।”
उन्होंने कांग्रेस की नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा, “तुष्टीकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस वंदे मातरम् के बंटवारे के लिए झुकी, इसलिए कांग्रेस को एक दिन भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा। दुर्भाग्य से कांग्रेस की नीतियां वैसी की वैसी हैं, आज कांग्रेस एक दिन INC से MMC बन चुकी है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वंदे मातरम् का कर्ज हम सभी भारतीयों पर है। “वंदे मातरम् ने वह रास्ता दिखाया था, जिस रास्ते से हम आज यहां तक पहुंचे हैं, और आज यह गीत हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। हमें वंदे मातरम् से आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी आंदोलन को शक्ति मिलती है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने वंदे मातरम् के ऐतिहासिक महत्व को बताते हुए कहा कि 1937 में मोहम्मद अली जिन्नाह ने वंदे मातरम् के खिलाफ़ नारा बुलंद किया था, और इसके बाद जवाहरलाल नेहरू ने मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों का जवाब देने के बजाय वंदे मातरम् के उपयोग की समीक्षा करने का निर्णय लिया। यह घटनाक्रम भारत के विभाजन के रास्ते को तैयार करने वाली कड़ी साबित हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “वंदे मातरम् 150 साल पुराना हो चुका है, लेकिन इसका महत्व कभी कम नहीं हुआ। बंगाल विभाजन के दौरान वंदे मातरम् हर दिल में गूंज रहा था। अंग्रेजों ने वंदे मातरम् पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया, लेकिन यह गीत हर भारतीय का संकल्प बन गया।”
प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम् की उत्पत्ति के बारे में बताते हुए कहा, “जब बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में वंदे मातरम् की रचना की, तो यह गीत स्वतंत्रता संग्राम का स्वर बन गया। उस समय भारत में अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे शोषण और जुल्मों के खिलाफ यह गीत एक शक्तिशाली हथियार बन गया था।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अंत में कहा, “वंदे मातरम् ने भारत को आज़ादी दिलाई और आज भी यह हमारी प्रेरणा का स्रोत है। वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने के इस ऐतिहासिक अवसर पर हम सभी को गर्व होना चाहिए कि हम इस महान अवसर के साक्षी बन रहे हैं।”









