Kolkata Case: कब तक बेटियां ‘निर्भया’ बनती रहेंगी? जिस्म को नोंचने वाले दरिंदे खुलेआम घूमते रहेंगे…?

आखिर कब तक औरतों को अपने हक के लिए इस दुनिया से लड़ना पड़ेगा. कब तक बेटियां ‘निर्भया’ बनती रहेंगी और कब तक बेटियों को नोंचने वाले दरिंदे खुलेआम घूमते रहेंगे। सवाल तो बहुत हैं, लेकिन जवाब एक का भी नहीं…आए दिन बेटियों के साथ गलत होता ही रहता हैं…..कभी बेटियां जन्म के पहले ही कोख में मार दी जाती हैं… तो कभी इस बेरहम दुनियां में रेप जैसे मामलों में मार दी जाती हैं….

Kolkata Case: आखिर कब तक औरतों को अपने हक के लिए इस दुनिया से लड़ना पड़ेगा. कब तक बेटियां ‘निर्भया’ बनती रहेंगी और कब तक बेटियों को नोंचने वाले दरिंदे खुलेआम घूमते रहेंगे। सवाल तो बहुत हैं, लेकिन जवाब एक का भी नहीं…आए दिन बेटियों के साथ गलत होता ही रहता हैं…..कभी बेटियां जन्म के पहले ही कोख में मार दी जाती हैं… तो कभी इस बेरहम दुनियां में रेप जैसे मामलों में मार दी जाती हैं…. वैसे ये रेप जैसे जो मामले हैं ये कभी-कभी नहीं बल्कि देश की बेटियां इसकी आए दिन रोज शिकार होती ही रहती हैं… लेकिन हद तो तब हो जाती हैं जब इस धरती पर भगवान का दूसरा रुप कहें जाने वाले डॉ. ही इसका शिकार हो जाए….. वही डॉ. या नर्स जो मरते हुए को जीने की आस दिलाते हैं…. भगवान से उनकी मौत को छिनकर लोगों को नया जीवन देते हैं….वैसे तो मन में सवाल बहुत हैं लेकिन जवाब मांगे भी तो किससे….. क्या उस समाज से मांगे जो बलात्कार होने पर बेटों को दोष देने के बजाय बेटियों की इज्जत जाने की दुहाई देता हैं…. या उन इंसानों से जो इंसान से हैवान या यूं कहें जानवर बन बैठे हैं…..

अब हम बात कर लेते हैं कोलकाता के आरजी कर अस्पताल की… जी हाँ ये वही अस्पताल हैं जहाँ एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ बेरहमी से बलात्कार और उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई थी… इस मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. लेकिन यो कोई इकलौता मामला नहीं हैं…. आए दिन या यूं कहें रोज ऐसे मामले सामने आते ही रहते हैं….. इस मामले को अभी बीते बस कुछ दिन ही हुए हैं, कि आगरा से इसी तरह का एक और मामला सामने आया है. आगरा के जिला अस्पताल से एक ऐसी घटना की खबर आई है, जिसने स्टाफ नर्स और स्वास्थ कर्मचारियों के होश उड़ा दिए हैं. कहा जा रहा है कि अस्पताल में एक मरीज के रिश्तेदारों और अटेंडेंट ने एक नर्स और महिला कर्मचारी को घेर लिया. उन्होंने महिला के साथ बदसलूकी और मारपीट की. उसके बाद महिला कर्मचारी के कपड़े फाड़कर उसे जबरन खींचने की कोशिश की गई. जब मरीज के परिवार वालें और अटेंडेंट्स उस नर्स और महिला कर्मचारी को पकड़नें वाले थे, उससे पहले ही वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी. उसकी चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर अस्पताल के बाकी कर्मचारी भी वहां पहुंच गए. जिस वजह से उसकी जान बच गई..अब इस पर एक बड़ा सवाल उठता हैं… कि क्या वो नर्स या महिला कर्मचारी सुरक्षित हैं.. या आखिर कब तक ऐसे बचेंगी….क्या इसलिए ही पहले के वक्त में लड़कियों को घर से बाहर नहीं निकलते दिया जाता था…लेकिन महिलाएं तो घर में भी सुरक्षित नहीं हैं… कभी चाचा तो कभी फूफा तो कभी किसी…. रिश्तेदार की शिकार हो ही जाती हैं…. आखिर कब तक पुलिस प्रशासन महिलाओं की रक्षा करेंगा…. क्या इसका कोई ठोस उपाय नहीं हैं…

आपको बता दें कि आगरा के इस घटना के बाद लोगों ने बताया कि अगर समय पर स्टाफ नही पहुंच पाते तो आगरा के जिला अस्पताल में भी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज जैसी घटना हो सकती थी…इस पूरी घटना के बाद आगरा के जिला अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ और स्वास्थ कर्मचारी हड़ताल पर चले गए. हालांकि कुछ ही देर बाद स्वास्थ कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल को वापस भी ले लिया. जिसके बाद से आगरा जिला अस्पताल में फिर से इलाज प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. घटना के बाद पीड़ित महिला कर्मचारी ने बताया कि घटना के दौरान एक मरीज के अटेंडेंट्स द्वारा प्रताड़ित किया गया, कपड़े भी फाड़ दिए और जबर्दस्ती करने लगे. यह घटना रात के करीब 11 बजे की है जब पीड़िता ने अटेंडेंट्स से बाहर जाने को कहा, जिसके बाद उन्होने हंगामा शुरू कर दिया. विरोध करने पर मारपीट पर उतर आए. बाद में मरीज के रिश्तेदार अपने और साथियों के साथ आए और महिला कर्मचारियों पर फिर से हमला किया, उनके कपड़े फाड़ दिए और खींचकर ले जाने का प्रयास किया. इस पूरे घटना के बाद लोगों ने जिला अस्पताल के सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाने शुरू कर दिए… लेकिन ये सवाल सिर्फ अस्पताल के सुरक्षा व्यवस्था पर ही नहीं बल्कि हम सभी पर उठता हैं… बेटियां, महिलाएं भी तो इंसान ही हैं ना.. अगर इंसान ही हैं… तो इंसानों के बीच सुरक्षित क्यों नहीं हैं…

इसके साथ ही आपको बता दें कि माता-पिता, दोस्त, शिक्षक उसके लिए एक ही शब्द कहते हैं: योद्धा। आरजी कर अस्पताल में रेप और हत्या की शिकार हुई 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर का सपना गोल्ड मेडल हासिल करने का था। दर्जी पिता ने बेटी को पढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत की। बेटी ने भी पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिंदगी भर परिवार ने संघर्ष किया। बेटी ने कोलकाता के घनी आबादी वाले उपनगर सोदेपुर से आरजी कर तक का सफर तय किया। अब बेटी की बारी परिवार का कर्ज चुकाने की थी लेकिन वह अपने माता-पिता का जीवन बेहतर बनाए बिना ही इस दुनिया से चली गई। जी हाँ कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में बीते 9 अगस्त को एक पोस्टग्रजुएट ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी जाती है. इसके अलावा 16 दिसम्बर साल 2012 का वो निर्भया कांड तो आपको याद ही होगा…. जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। देश में हर तरफ लोग सड़कों पर उतर आए थे। एक बार फिर से भारत देश के ऐसे ही हालात बन गए हैं, कोलकाता में दिल्ली के जैसा ही निर्भया कांड हुआ है। इस मामले में कई लोग ममता सरकार को घेरते भी नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में निर्भया’ की मां आशा देवी ने भी पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को घेरा है। उन्होंने ममता के इस्तीफे की मांग करते हुए दावा किया है कि सीएम हालातों को संभालने में नाकाम रही हैं। मीडिया से बात करते हुए आशा देवी ने कहा कि ”एक महिला के रूप में, उन्हें राज्य के प्रमुख के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। हालात को संभालने में विफल रहने के लिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।” आगे आशा देवी ने कहा कि ”ऐसी घटनाएं तब तक होती रहेंगी जब तक केंद्र और राज्य दोनों सरकारें बलात्कारियों के लिए अदालतों से तुरंत सजा को लेकर गंभीर नहीं हो जातीं हैं।”

दरअसल अपने दोस्त के साथ बस में बैठी जहां पर उनक सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस घटना पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच निर्भया को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां 29 दिसंबर को एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी। इस केस में सभी को गिरफ्तार करके सजा दी गई। छह दोषियों में से एक को सितंबर 2013 में दिल्ली की तिहाड़ जेल में अपनी कोठरी में लटका हुआ पाया गया था, जबकि एक जो अपराध के समय नाबालिग था, उसको सुधार गृह में तीन साल बिताने के बाद दिसंबर 2015 में रिहा कर दिया गया था। चार अन्य दोषियों को मार्च 2020 में फांसी दे दी गई थी।

वही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी कोलकाता में डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफा मांगा है। गिरिराज सिंह ने अपने निर्वाचन क्षेत्र बेगुसराय में कहा कि ममता बनर्जी को इस घटना पर शर्म आनी चाहिए, क्योंकि यह वर्षों पहले दिल्ली में हुए कुख्यात निर्भया सामूहिक बलात्कार से भी अधिक भयानक है। बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया व्यक्ति डमी है और असली दोषियों को तृणमूल कांग्रेस से निकटता के कारण बचाया जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए, ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद छोड़ देना चाहिए और जांच पूरी होने तक पश्चिम बंगाल को राज्यपाल शासन में रहने देना चाहिए।

इसके साथ ही कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कोलकाता की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और सरकार से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कोलकाता में जो हुआ, वह निंदा जनक घटना है। सरकार को इस मामले की जांच करनी चाहिए, लेकिन सरकार संदेह में है और बंगाल ही नहीं पूरे देश में इस घटना को लेकर विरोध हो रहा है। उन्होंने बंगाल की कानून-व्यवस्था को लेकर ममता सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पहले हम कानून और व्यवस्था की स्थिति के बारे में जो कहते थे, वह सही है। बंगाल सरकार सुरक्षा देने में सक्षम नहीं है। इसलिए वह सिर्फ अनदेखी कर रही है। यहां सुरक्षा नाम की कोई चीज नहीं है, वे आरोपियों की मदद कर रहे हैं।

वही इस मामले को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी के साथ-साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा है।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि दो लड़कों की जोड़ी अपराधियों की हितैषी बन गई है। राहुल गांधी से हम पूछना चाहते है कि क्या आपकी मोहब्बत की दुकान में सिर्फ अपराधी, भ्रष्टाचारी और बलात्कारी सामान ही उपलब्ध है। ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा देने वाली कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी अब कुछ क्यों नहीं बोल रही हैं। क्या उनके मुंह में दही जम गया है।

ऐसे मामलों पर हमारे देश के महान नेता राजनीति कर रहें हैं…. कोई कह रहा हैं कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस्तीफा दे देना चाहिए… तो कोई कह हैं रहा..भाजपा इस मामले पर राजनीति कर रही…तो कोई कह हैं रहा हैं कि दो लड़कों की जोड़ी अपराधियों की हितैषी बन गई है….देश के महान नेताओं को बस राजनीति करने का एक मुद्दा चाहिए होता हैं.. उन्हें जनता ने बस सत्ता पर शासन करने के लिए कुर्सी पर बैठा दिया हैं….. उन्हें जनता से कोई वास्ता नहीं हैं.. उनका वास्ता सिर्फ 5 साल में एक बार ही जनता से होता हैं…. वो भी सिर्फ वोट लेने के लिए……

इसके साथ ही ये भी सोचने का सवाल हैं कि आखिर क्या ये वही भारत हैं… जहां महिलाओं की पूजा की जाती हैं… जहां बेटियों को माँ लक्ष्मी का दर्जा दिया जाता हैं… जहां “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।।” अर्थात – “जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती, उनका सम्मान नही होता, वहाँ किए गए समस्त अच्छे कर्म भी निष्फल हो जाते हैं ।” क्या ये वही भारत हैं…. आखिर देश की महिलाएं, बच्चीयां कहां जाए…. जहां वह सुकून से रहे और अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सके….जहां उन्हें परेशान करने वाले दरिंदे ना हो……ये एक बहुत ही अहम सवाल हैं… इस पर एक बार सोचिएगा जरुर……………

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